'तुरंत लौटो..': H1B Visa पॉलिसी के बाद US की कंपनियों ने भेजा अलर्ट, भारतीय पेशेवरों पर भी संकट

Trump Ultimatum to Hamas Gaza Israel war
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Trump Ultimatum to Hamas

Donald Trump H1B Visa Policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (19 सितंबर) को बड़ा निर्णय लिया है। उन्होंने एच-1बी वीजा आवेदन पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 83 लाख) अतिरिक्त फीस लगाने का आदेश जारी किया है। जो 21 सितंबर 2025 की आधी रात (12:01 बजे) से लागू होगा।

डोनाल्ड ट्रंप की इस वीजा पॉलिसी का सर्वाधिक असर भारतीय आईटी और तकनीकी पेशेवरों पर पड़ेगा। क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोग एच-1बी वीजा पर ही अमेरिका में रह रहे हैं।

माइक्रोसॉफ्ट का ईमेल वायरल

ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिकी टेक कंपनियों में हड़कंप मच गया है। सोशल मीडिया पर माइक्रोसॉफ्ट का एक ईमेल वायरल हो रह है, जिसमें कंपनी ने अपने एच-1बी और एच-4 वीजा धारक कर्मचारियों से तत्काल अमेरिका लौटने और निकट भविष्य तक अमेरिका से बाहर न जाने की सलाह दी है।

इमिग्रेशन वकीलों ने जताई चिंता

इमिग्रेशन अटॉर्नी साइरस मेहता ने भारतीय पेशेवरों को अलर्ट किया है। सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा- जो लोग अमेरिका से बाहर छुट्टियों या बिजनेस ट्रिप पर हैं, उन्हें 21 सितंबर (आधी रात) से पहले हर हाल में लौटना होगा। 24 घंटे से भी कम समय है। इतने कम वक्त में तो भारत से US पहुंचना ही मुश्किल है। हालांकि, कैलिफोर्निया तक वह पहुंच सकते है।

भारतीय टेक पेशेवरों पर संकट

ट्रंप के एक फैसले से टेक कंपनियों में काम करने वाले हजारों भारतीय कर्मचारी संकट में आ गए। कंपनियां भी अब ऐसे कर्मचारियों को ही प्राथमिकता देंगी, जो नए आदेश के लागू होने से पहले अमेरिका लौट आएंगे। कई भारतीय परिवारों की आजीविका पर संकट आ सकता है।

डोनाल्डट ट्रंप का तर्क

डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि एच-1बी वीजा का दुरुपयोग हो रहा था। अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां छीनी जा रही हैं। कुछ आउटसोर्सिंग कंपनियां वीजा धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों में लिप्त मिली हैं। जिस कारण H1B वीजा नियम सख्त करने पड़े। अब $100,000 फीस के बिना किसी को एच-1बी नहीं मिलेगा।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

कैटो इंस्टीट्यूट के इमिग्रेशन स्टडीज डायरेक्टर डेविड बियर ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय एच-1बी वीजा धारकों ने अमेरिका को सैकड़ों अरब डॉलर टैक्स और सेवाओं के रूप में दिया, लेकिन अब उन्हें भेदभाव और नफरत मिल रही है।

उन्होंने कहा, ये लोग दशकों से ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उन्हें सिर्फ उनके जन्मस्थान के आधार पर पीछे रखा गया है। यह अमेरिका की इमिग्रेशन व्यवस्था का सबसे पक्षपाती पक्ष है।

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