डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा ऐलान: अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड डील फाइनल, US को मिलेगा रेयर अर्थ मटेरियल्स, शी जिनपिंग की मंजूरी बाकी

US-China Trade Deal: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (11 जून) को अमेरिका-चीन व्यापार समझौते (Trade Deal) की घोषणा की। इस डील के तहत अब चीन अमेरिका को रेयर अर्थ मटेरियल्स और मैग्नेट्स की आपूर्ति करेगा, जबकि बदले में अमेरिका चीनी छात्रों को अपने कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में दाखिला देने की अनुमति देगा।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका को इस समझौते से 55% टैरिफ का फायदा होगा, जबकि चीन को केवल 10% टैरिफ का लाभ मिलेगा। हालांकि टैरिफ गणना के तरीके को लेकर अब भी कई सवाल बने हुए हैं।

रेयर अर्थ मटेरियल्स क्या हैं?
रेयर अर्थ मिनरल्स वे 17 दुर्लभ खनिज हैं जिनमें लैंथेनम, नियोडियम, प्रासियोडियम जैसे एलिमेंट्स शामिल हैं। इनका उपयोग निम्न क्षेत्रों में होता है:
- स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
- इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरियों में
- रक्षा और स्पेस टेक्नोलॉजी में
- सोलर पैनल और विंड टरबाइनों में
इनकी खुदाई और शुद्धिकरण प्रक्रिया बेहद जटिल और महंगी होती है। चीन इस समय वैश्विक रेयर अर्थ सप्लाई का 60-70% हिस्सा नियंत्रित करता है।
शी जिनपिंग की मंजूरी अब बाकी
ट्रंप ने कहा कि यह डील अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अंतिम स्वीकृति के बाद लागू की जाएगी। इससे पहले अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि जिनेवा में दोनों देशों के बीच हुई पिछली बातचीत के आधार पर यह सहमति बनी है।
लुटनिक ने बताया कि डील के तहत कुछ अमेरिकी निर्यात प्रतिबंधों को भी हटाया जाएगा और इससे संबंधित फ्रेमवर्क पहले ही तैयार कर लिया गया है। वहीं, चीन की ओर से वरिष्ठ व्यापार अधिकारी ली चेंगगांग ने भी इसे ऐतिहासिक समझौता बताया।
टैरिफ में कटौती: 90 दिनों की आंशिक राहत
11 मई 2025 को जिनेवा में हुई मीटिंग में दोनों देशों ने टैरिफ में कुल 115% कटौती का ऐलान किया था, जिसके बाद दोनों देशों पर एक-दूसरे पर लगने वाले टैरिफ कुछ इस प्रकार हैं:
- अमेरिका ने चीनी सामानों पर टैरिफ को घटाकर 30% किया।
- चीन ने अमेरिकी सामानों पर टैरिफ को घटाकर 10% किया।
- यह छूट फिलहाल 90 दिनों के लिए लागू की गई है।
दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध
हाल के महीनों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक टकराव काफी बढ़ गया था। ट्रंप प्रशासन ने चीनी उत्पादों पर 145% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने 125% टैरिफ का ऐलान कर दिया था। इससे दोनों देशों के बीच करीब 600 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार लगभग ठप पड़ गया था।
