मौत की सजा के बाद बड़ा सवाल: शेख हसीना का अगला कदम क्या- भारत में रहेंगी या लौटेंगी बांग्लादेश? बस 4 विकल्प

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शेख हसीना का अगला कदम क्या? मौत की सजा के बाद बड़ा सवाल (Image-AI)

शेख हसीना को मौत की सजा के बाद उनका भविष्य क्या होगा? क्या वे बांग्लादेश लौटेंगी या भारत में ही रहेंगी? ICT धारा 21, प्रत्यर्पण और कानूनी विकल्प जानें।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने 2024 के छात्र आंदोलनों के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला बांग्लादेश के इतिहास में सबसे कठोर माना जा रहा है, लेकिन जटिलता यह है कि फैसला जिस देश ने सुनाया है, हसीना वहां मौजूद नहीं हैं।

सत्ता से हटाए जाने के बाद अगस्त 2024 में हसीना भारत आईं और तब से दिल्ली में सुरक्षात्मक निगरानी में रह रही हैं। बांग्लादेश ने उनका प्रत्यर्पण मांगा है, लेकिन भारत ने अब तक कोई प्रत्यक्ष टिप्पणी नहीं की है। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि शेख हसीना का अगला कदम क्या होगा? वापस बांग्लादेश लौटना या भारत में रहना या फिर कोई तीसरा रास्ता?

पहला विकल्प- भारत में रहना

भारत मौजूदा हालात में हसीना के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। भारत 2013 की भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि का हवाला देकर प्रत्यर्पण को राजनीतिक मामला घोषित कर सकता है और इसे अस्वीकार कर सकता है। हसीना खुद भी यह दावा कर रही हैं कि उनके खिलाफ लगाया गया मामला राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि बांग्लादेश और भारत के तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए नई दिल्ली उन्हें लौटाने का जोखिम नहीं उठाएगी।

दूसरा विकल्प- किसी और देश में शरण लेना

यदि भविष्य में भारत पर दबाव बढ़ता है या राजनीतिक समीकरण बदलते हैं, तो हसीना ब्रिटेन, कनाडा या अमेरिका जैसे देशों में शरण लेने की कोशिश कर सकती हैं। उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय ब्रिटेन में सांसद हैं, जिससे उन्हें राजनीतिक सहारा मिल सकता है। हालांकि इंटरपोल नोटिस या कूटनीतिक जटिलताएं इस रास्ते को कठिन बना सकती हैं।

तीसरा विकल्प- कानूनी लड़ाई का रास्ता

हसीना के लिए कानूनी लड़ाई का रास्ता मौजूद है, लेकिन इसके साथ एक बहुत महत्वपूर्ण शर्त जुड़ी है। बांग्लादेश के ICT (International Crimes Tribunal) कानून की धारा 21 कहती है कि मौत की सजा पाए किसी भी दोषी को फैसले की तारीख से 30 दिनों के भीतर या तो गिरफ्तार होना जरूरी है या अदालत में आत्मसमर्पण करना होगा।

इसका मतलब यह है कि यदि हसीना कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करना चाहती हैं, तो उन्हें किसी न किसी रूप में बांग्लादेश की अदालत के अधिकार क्षेत्र में आना होगा। यह शर्त उनके लिए सबसे बड़ी कानूनी चुनौती बन जाती है, क्योंकि वे भारत में सुरक्षित हैं और बांग्लादेश लौटना उनके लिए जीवन-जोखिम जैसा हो सकता है।

फिर भी वे यह दलील देकर अपील की कोशिश कर सकती हैं कि ट्रायल निष्पक्ष नहीं था, गवाहों पर दबाव था और फैसले में राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ। अंतरराष्ट्रीय अदालतों में भी मामला ले जाया जा सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया लंबी, जटिल और अनिश्चित है।

चौथा विकल्प- विदेश में रहकर राजनीतिक वापसी की कोशिश

विदेश में रहते हुए भी हसीना अपने समर्थकों और बांग्लादेशी डायस्पोरा को संगठित रख सकती हैं। सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात रखते हुए वे यूनुस सरकार पर राजनीतिक दबाव बना सकती हैं। हालांकि मौत की सजा ने उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि पर गहरा असर डाला है, फिर भी राजनीति में उनकी वापसी को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।

भारत की भूमिका सबसे निर्णायक

भारत ने अब तक इतना ही कहा है कि वह बांग्लादेश में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की बहाली चाहता है। भारत कानूनी प्रक्रिया, निष्पक्ष सुनवाई और मानवाधिकार के आधार पर प्रत्यर्पण पर निर्णय लेगा। उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए भारत उन्हें मानवीय आधार पर सुरक्षित रख सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हसीना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्ड हैं, जिसे भारत आसानी से हाथ से नहीं जाने देगा।

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