Putin India Visit: पुतिन का भारत दौरा अमेरिका को बड़ी चुनौती? चीन के मीडिया का दावा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे को चीन ने सराहा।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर हैं। वे गुरुवार की शाम को अपने हवाई जाहज से नई दिल्ली पहुंच गए थे। पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्वागत किया था, जो दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती का संकेत देता है। पुतिन के भारत दौरे पर पाकिस्तान, चीन और अमेरिका जैसे देशों की सबसे ज्यादा नजर है। विशेषकर चीन का मीडिया इस दौरे को किस नजरिये से पेश कर रहा है, चलिये बताते हैं।
पुतिन के भारत दौरे का वैश्विक राजनीति पर असर?
पश्चिमी देश एशिया के देशों को कंट्रोल में लेना चाहते हैं। ऐसे में भारत और रूस की दोस्ती को एशिया के लिए भी अहम मानी जा रही है। चीन के ज्यादातर मीडिया संस्थानों ने राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे को सकारात्मक बताया है। सरकारी भोंपू माने जाने वाले सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी इस दौरे की तारीफ की है। चाइना फॉरेन अफेयर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हैडोंग के हवाले से लिखा कि भारत और रूस ने अमेरिका और पश्चिम को स्पष्ट संदेश दिया है कि चाहे कितना भी दबाव डालें, लेकिन दोनों देश अलग-थलग नहीं होंगे। यह एशिया पर दबाव डालने वाली राजनीति को भी कमजोर करती है।
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी 'शिन्हुआ' ने लिखा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब अमेरिका रूस से तेल खरीदने का बदला लेने के लिए भारत पर मनमाना टैरिफ लगा रहा है। शिन्हुआ ने एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा कि विशेषकर तेल व्यापार मुद्दा चर्चा का अहम मुद्दा रहेगा, जिससे भारत और अमेरिका के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा चीन सरकार से जुड़ी न्यूज वेबसाइट 'द पेपर' ने लिखा कि अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसमें रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत की जुर्माना राशि भी शामिल है। चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका चाहे कितने भी टैरिफ लगाए, लेकिन भारत का आर्थिक विकास ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस का सहयोग आवश्यक है।
S-500 की डील से से डर गया चीन?
चीन के ज्यादातर अखबारों और न्यूज वेबसाइट ने जहां पुतिन के भारत दौरे को, दोनों देशों द्वारा पश्चिमी देशों को बड़ा जवाब माना जा रहा है, लेकिन सुखोई-57 फाइटर जेट और एस-500 एयर डिफेंस और एंटी मिसाइल सिस्टम की डील को लेकर अजीबोगरीब प्रतिक्रिया दी है। चीनी सरकार समर्थित गुआनचा ने लिखा कि रक्षा सौदा निसंदेह मुख्य मुद्दा है, लेकिन भारत की तरफ से इस पर उत्साह नहीं दिखाया है।
ग्लोबल टाइम्स ने भी लिखा कि क्रेमलिन प्रवक्त दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि पुतिन की यात्रा के दौरान सुखोई-57 और एस-500 जैसे अत्याधुनिक हथियारों की पेशकेश दी जाएगी, लेकिन भारत की तरफ से अजीत प्रतिक्रिया दी गई है। ग्लोब्ल टाइम्स ने लिखा कि भारत ने इस डील पर हिचकिचाहट और अनिश्चिततता देखने को मिली है, जिसमें ऑर्डर देने से इनकार कर दिया गया है। साथ ही आगे लिखा कि भारतीय मीडिया ने भी बता दिया था कि सुखोई 57 पर समझौते की संभावना कम दिख रही है।
बता दें कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से भारत को अपने सैन्य क्षेत्र की क्षमता लगातार बढ़ाना आवश्यक है। स्वदेशी डिफेंस सिस्टम 2030 में आने की उम्मीद है। ऐसे में S-500 डिफेंस सिस्टम को लेकर चीन और रूस के बीच बातचीत चल रही है। ऐसे में इस पर चीनी मीडिया द्वारा सवाल उठाना शी जिनपिंग की सरकार को खुश करने जैसा प्रयास नजर आता है।
