Nuclear Smuggling: पाकिस्तान का 'भोपाली' परमाणु वैज्ञानिक, जिसने डेटा चुराकर उत्तर कोरिया-मुस्लिम देशों को सौंप दिया

pakistani scientist abdul qadeer khan
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इस पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक ने उत्तर कोरिया को भी दी थी परमाणु बम की टेक्निक।  

पश्चिमी जर्मनी की यूरेन्को कंपनी में लैब अटेंडेंट की जॉब मिली। 3 साल के बाद परमाणु कार्यक्रम से जुड़े गोपनीय दस्तावेज लेकर फरार। पढ़ें इस भोपाली परमाणु वैज्ञानिक की कहानी...

27 अप्रैल 1936... इस दिन भोपाल के गिन्नौरी इलाके में रामफल वाली गली में स्थित एक घर में बच्चे ने जन्म लिया। उसे मछली पकड़ना, पतंगबाजी करना पसंद था। 1947 में बंटवारा हुआ तो इस परिवार ने भारत में ही बसने का फैसला लिया। लेकिन, साल 1951 आया तो यह बच्चा 15 साल की उम्र में अपने पिता को छोड़कर पाकिस्तान में जा बसा। उन्होंने यहां भौतिकी में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उच्च अध्ययन के लिए पश्चिमी जर्मनी चले गए।

यहां से परमाणु विज्ञान में डॉक्टरेट शोध किया। इसके बाद परमाणु वैज्ञानिक बनकर ईरान और उत्तर कोरिया के लिए परमाणु बम बनाने में मदद की, बल्कि पाकिस्तान को भी गुपचुप तरीके से परमाणु बम बनाने की टेक्निक सौंप दी। हम परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान की बात कर रहे हैं, जिसे पाकिस्तान आज भी परमाणु बम बनाने के लिए राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित करता है। पढ़िये परमाणु वैज्ञानिक बनने से लेकर गद्दारी तक की पूरी कहानी...

जर्मनी की यूरेन्को कंपनी ने दी जॉब, मिला धोखा
पश्चिमी जर्मनी की यूरेन्को कंपनी ने सबसे पहले 1972 में अब्दुल कादिर को बतौर प्रयोगशाला सहायक की जॉब दी थी। जल्द ही वे अग्रणी विशेषज्ञों की टीम में शामिल हो गए। उन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज में सुधार किया। वे हर साल छुट्टियों में पाकिस्तान जाते थे। 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें बांग्लादेश का जन्म हुआ। पाकिस्तान के हालात बुरे थे।

कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि अब्दुल कादिर ने उसी वक्त सोच लिया था कि पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बनाएंगे। उन्होंने 1974 तक लगातार यूरेन्को कंपनी की प्रयोगशाला में कार्य किया। लेकिन, 1975 में हर साल की तरह यह वादा करके निकले थे कि जल्द ही पाकिस्तान से उपहार लेकर लौटूंगा, लेकिन वापस नहीं आए।

परमाणु टेक्निक चुराई, कहा- उपहार लाऊंगा
अब्दुल कादिर खान पाकिस्तान में छुट्टियां बिताने के बाद जब काम पर लौटते थे, तो अपने सहकर्मियों के लिए उपहार लेकर जाते थे। 1975 में जब वे छुट्टियां बिताने के लिए निकले, तो वह उपहार ले जाने की बजाए वहां से उपहार लेकर आए थे। उन्होंने यूरेन्को से सबसे उन्नत यूरेनियम संवर्धन सेंट्रीफ्यूज के लिए गुप्त ब्लूप्रिंट की प्रतियां और अन्य दस्तावेज पाकिस्तान सरकार को दिखाए, जिसके बाद उन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया।

बाद में उन्हें इस परमाणु कार्यक्रम का हेड बना दिया गया। करीब 23 साल बाद 1998 में पाकिस्तान ने परमाणु बम का सफल परीक्षण किया, जिसके बाद अब्दुल कादिर खान पाकिस्तान के राष्ट्रीय नायक बन गए।

खान ने ऐसे खींचा पाकिस्तानी पीएम का ध्यान
अब्दुल कादिर खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 1971 के युद्ध में भारत की वजह से पाकिस्तान ने पूर्वी प्रांत यानी बांग्लादेश को गंवा दिया। मई 1974 में फैसला कर लिया था कि अब पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल होना है। इसके लिए पाकिस्तान सरकार के कई अधिकारियों को पत्र लिखे, लेकिन जवाब नहीं मिला। लेकिन, उन्होंने परमाणु तकनीक की गोपनीय सूचनाओं को अपने जोखिम पर एकत्र करना जारी रखा।

अगस्त 1974 में पहली बार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो तक पहुंचने में मदद मिली। उनके आदेश पर नीदरलैंड स्थित पाकिस्तानी दूतावास के माध्यम से संपर्क स्थापित हुआ, जिसके बाद सर्दी का मौसम आने से पहले ही परमाणु कार्यक्रम से जुड़े डेटा को भेजना शुरू कर दिया।

इजरायल को अब्दुल कादिर खान पर था शक
अब्दुल कादिर ने इस इंटरव्यू में यह भी कहा था कि उन्हें गोपनीय दस्तावेज लीक करने में कभी डर महसूस नहीं हुआ। वे अक्सर बिना छिपाए गुप्त दस्तावेज की कॉपी लेकर घर के लिए निकल जाते थे। लेकिन, 1975 में पहली बार खान को संकेत मिलने लगा कि डच गुप्ता सेवाओं ने उन पर निगरानी शुरू कर दी है। ऐसे में उन्होंने पाकिस्तान लौटने का फैसला ले लिया।

लेकिन, इजरायल को शुरू से खान पर शक था। अपुष्ट रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल ने भारत की सहायता से 1980 में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को ध्वस्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन भारत सरकार को अंतत: पीछे हटना पड़ा था। 1998 में पाकिस्तान का सफल परमाणु परीक्षण कर लिया, जिसके बाद से पाक ऐसा पहला मुस्लिम देश बन गया, जिसके पास परमाणु हथियार है।

ईरान समेत इन देशों को दी परमाणु टेक्निक
बताया जाता है कि अब्दुल कादिर खान ने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया समेत कई देशों को परमाणु कार्यक्रम से जुड़े सीक्रेट डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराए। पश्चिमी खुफिया एजेंसियां लंबे समय से इन खरीदार देशों की पूरी सूची हासिल करने का असफल प्रयास कर रही है। 10 अक्टूबर 2021 को 85 साल की उम्र में अब्दुल कादिर खान का निधन हो गया। मौत की वजह कोविड बताया गया। उनकी मौत को पाकिस्तान ने बड़ी क्षति बताया था। अगर खान न होते तो ईरान भी परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे नहीं बढ़ा पाता और न ही इजरायल को उसके खिलाफ युद्ध छेड़ना पड़ता।

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