Nobel Peace Prize 2025: क्या ट्रंप को मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार? जानिए कौन-कौन है प्रमुख दावेदार

Nobel Peace Prize 2025: Will Donald Trump Win the Peace Prize? Here Are the Top Contenders
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नोबेल शांति पुरस्कार 2025

नॉर्वे के ओस्लो में आज नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की घोषणा होगी। डोनाल्ड ट्रंप के साथ यूलिया नवल्नाया, ग्रेटा थुनबर्ग, ERRs, ICC और UN एजेंसियां प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं।

नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में आज यानि शुक्रवार, 10 अक्टूबर को प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के विजेता की घोषणा होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को इस सम्मान का हकदार बताया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी संभावनाएं सीमित हैं।

इस साल कुल 338 नामांकन (244 व्यक्ति और 94 संगठन) हुए हैं। नोबेल समिति नामों को 50 वर्षों तक गोपनीय रखती है, लेकिन वैश्विक मीडिया और विश्लेषकों के अनुमानों के अनुसार कई प्रमुख नाम चर्चा में हैं।


प्रमुख दावेदार कौन हैं?

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इस बार कोई स्पष्ट फेवरेट नहीं है, लेकिन वैश्विक संघर्षों, मानवाधिकारों और शांति प्रयासों के आधार पर कुछ नाम लगातार सुर्खियों में हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में—

यूलिया नवल्नाया: रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवल्नी की पत्नी यूलिया नवल्नाया लोकतंत्र और मानवाधिकारों की सशक्त आवाज हैं। नवल्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने रूस में सत्तावादी शासन के खिलाफ आवाज उठाई। विशेषज्ञों के अनुसार, उन्हें पुरस्कार मिलना तानाशाही के खिलाफ एक सशक्त संदेश होगा।

सुडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स (ERRs): सुडान के गृहयुद्ध के बीच हजारों स्वयंसेवकों द्वारा संचालित ERRs संगठन ने जरूरतमंदों को भोजन, दवा और आश्रय मुहैया कराया है। इस संकट के बीच इनकी निडरता को दुनिया सराह रही है। यह संगठन आज मानवीय साहस और सामुदायिक एकता का प्रतीक बन चुका है।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC): ICJ ने गाजा में नरसंहार के आरोपों पर सुनवाई की, जबकि ICC ने युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए, जिनमें इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का नाम भी शामिल है। ये संस्थाएं वैश्विक स्तर पर न्याय और अंतरराष्ट्रीय कानून की मजबूती का प्रतीक हैं।

मीडिया स्वतंत्रता संगठन: पत्रकारों के लिए बेहद कठिन साल में कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) और रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की है। गाजा से लेकर सुडान तक ये संगठन लोकतंत्र और शांति के आधार माने जा रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF): यूएनआरडब्ल्यूए ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों को सहायता दी है, जबकि यूएनएचसीआर ने वैश्विक विस्थापन संकट से निपटने में बड़ी भूमिका निभाई है।

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF) पहले भी नोबेल पुरस्कार जीत चुकी है और इस बार फिर गाजा समेत 70 से अधिक देशों में चिकित्सा सहायता देने के कारण मजबूत दावेदार मानी जा रही है।

वुमेंस इंटरनेशनल लीग फॉर पीस एंड फ्रीडम (WILPF): 1915 में स्थापित यह संगठन महिलाओं की शांति प्रक्रियाओं में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर WILPF को सम्मान मिलना संभव माना जा रहा है।

ग्रेटा थुनबर्ग: स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग वर्षों से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण न्याय की वैश्विक प्रतीक रही हैं। उन्होंने गाजा में मानवीय सहायता की मांग भी उठाई है, जिससे उनका नाम फिर से चर्चा में है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की: रूसी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक बने ज़ेलेंस्की 2022 से लगातार दावेदारों में शामिल हैं। शांति वार्ता के ठहराव के बावजूद उन्हें पुरस्कार मिलना यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का संकेत होगा।

अन्य उल्लेखनीय दावेदार

पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता महरांग बलोच भी इस साल चर्चा में हैं, जिन्होंने बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई है।

ट्रंप की संभावनाएं क्यों कम हैं?

डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा शांति योजना और कुछ मध्यस्थता प्रयासों का श्रेय लिया है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार ये कदम नामांकन की समय सीमा (31 जनवरी 2025) के बाद आए, इसलिए इन्हें इस साल के लिए मान्य नहीं माना गया।

नोबेल समिति आमतौर पर उन लोगों या संस्थाओं को प्राथमिकता देती है जो स्थायी शांति और मानवता के उत्थान के लिए चुपचाप काम करते हैं, न कि राजनीतिक उपलब्धियों पर आधारित हों।

घोषणा का समय

नॉर्वे समयानुसार दोपहर 11 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर 2:30 बजे) नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के विजेता का ऐलान किया जाएगा। दुनिया की नजरें अब ओस्लो पर टिकी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यह सम्मान किसे और किस कारण से मिलता है।

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