Jørgen Watne Frydnes: नोबेल शांति पुरस्कार के दूत, जिनकी सादगी ने जीत लिया दुनिया का दिल

नोबेल चेयरमैन जोर्जेन वाटने फ्राइडनेस की सादगी ने जीता दुनिया का दिल
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से ठीक पहले नॉर्वेजियन नोबेल समिति के चेयरमैन जोर्जेन वाटने फ्राइडनेस का एक हल्का-फुल्का पल सोशल मीडिया पर छा गया। ओस्लो में पुरस्कार घोषणा से पहले जब वे स्टेज पर पहुंचे तो उन्हें याद आया कि उन्होंने टाई बांधना भूल गए हैं।
फ्राइडनेस ने बिना झिझक मंच पर ही कोट पहना, टाई बांधी और मुस्कुराते हुए कहा- “दुनिया सुन रही है, शांति पर चर्चा हो रही है। यह अच्छी बात है।” इस सहज लम्हे ने गंभीर माहौल में भी मानवीय गर्मजोशी भर दी और दुनिया भर में उनकी सादगी की चर्चा होने लगी।
यह क्षण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोगों ने कहा, “जितनी बड़ी जिम्मेदारी और उतनी ही सहजता- यही असली लीडरशिप है।”
कौन हैं जोर्जेन वाटने फ्राइडनेस?
- जन्म: 1984, नॉर्वे
- वर्तमान पद: नॉर्वेजियन नोबेल समिति के चेयरमैन (2024 से)
- पहली बार समिति में शामिल: 2021
- पेशा: मानवाधिकार कार्यकर्ता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक
- महासचिव: PEN Norway (अंतरराष्ट्रीय PEN नेटवर्क का हिस्सा)
फ्राइडनेस ने 2004–2011 के बीच डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (मेडेसिन्स सांस फ्रंटियर्स) के साथ दुनिया के संघर्षग्रस्त इलाकों में काम किया। इसके अलावा 2014 से 2017 तक वह इसके नॉर्वेजियन बोर्ड में भी रहे।
त्रासदी से प्रेरणा तक: उतोया द्वीप का वह दिन
22 जुलाई 2011 को नॉर्वे में हुए भयावह हमलों में, जब दक्षिणपंथी चरमपंथी एंडर्स ब्रेविक ने उतोया द्वीप पर श्रम पार्टी की युवा शाखा के शिविर पर हमला किया, तब फ्राइडनेस वहां स्वयंसेवक के रूप में मौजूद थे।
चरमपंथी एंडर्स ब्रेविक के हमले में 69 युवा मारे गए थे। जोर्जेन उस समय वहीं स्वयंसेवक के रूप में मौजूद थे। वे जीवित बचे, लेकिन इस हादसे ने उनका जीवन बदल दिया।
बाद में उन्होंने उतोया द्वीप के पुनर्निर्माण और स्मृति स्थलों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “No Man Is an Island: Community and Commemoration on Norway’s Utøya” (2025) इसी अनुभव पर आधारित है।
वे लिखते हैं- “स्मृति को जीवित रखना भविष्य की कार्रवाई का मार्गदर्शन करता है।”
नोबेल की विरासत के रक्षक
जोर्जेन फ्राइडनेस की अध्यक्षता में नोबेल समिति ने हाल के वर्षों में ये पुरस्कार दिए-
- 2021: मारिया रेसा और दिमित्री मुरातोव (पत्रकारिता)
- 2022: असल बियालाटस्की (बेलारूस, मानवाधिकार)
- 2023: नार्गेस मोहम्मदी (ईरान, महिला अधिकार)
- 2024: निहोन हिडान्क्यो (जापानी परमाणु पीड़ित संगठन)
- 2025: मारिया कोरिना माचाडो (वेनेजुएला, लोकतंत्र की आवाज़)
उनका हर चयन स्वतंत्रता, साहस और संवाद के मूल्यों को सशक्त करता है।
क्यों बन गए आज की पीढ़ी के प्रेरणास्रोत?
फ्राइडनेस सिर्फ एक चेयरमैन नहीं, बल्कि आशा और मानवीय मूल्यों के प्रतीक हैं।उन्होंने दिखाया कि शांति केवल “पुरस्कार” नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रयास है, जहां स्मृति, सहिष्णुता और संवाद से ही भविष्य का निर्माण होता है।
