बांग्लादेश HC ने ISKCON के संत को दी बेल, देशद्रोह मामले में 5 महीने से जेल में बंद थे चिन्मय कृष्ण दास

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बांग्लादेश HC ने ISKCON के हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को दी जमानत, देशद्रोह मामले में 5 महीने से जेल में थे बंद
Chinmoy Krishna Das bail: बांग्लादेश हाईकोर्ट ने बुधवार (30 अप्रैल) को ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के मामले में जमानत दे दी। दास लगभग 5 महीने बांग्लादेश की जेल में बंद में थे।

Chinmoy Krishna Das bail: बांग्लादेश हाईकोर्ट ने बुधवार (30 अप्रैल) को ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के मामले में जमानत दे दी। दास को पिछले साल 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था और करीब 5 महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें जमानत मिली।

क्या था मामला?
हेफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश (एक कट्टरपंथी संगठन) के सदस्य एनामुल हक ने यह केस दायर किया था। चटगांव कोर्ट में दर्ज शिकायत में दास समेत 164 नामित और 400-500 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था। जनवरी में कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन फरवरी में सरकार से जवाब मांगा गया था।

5 महीने बाद मिली जमानत
दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने बताया कि हाईकोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते में जवाब देने को कहा था, जिसके बाद आज जमानत मंजूर हुई। हालांकि, मामले की सुनवाई अभी बाकी है।

25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था
चिन्मय पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। इस मामले में उनपर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था और उन्हें 25 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले 2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

पुलिस ने एयरपोर्ट से किया था गिरफ्तार
बांग्लादेश पुलिस ने 25 नवंबर, 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया था। तब वे चटगांव जा रहे थे।

कौन हैं चिन्मय कृष्ण दास?
चिन्मय कृष्ण दास, बांग्लादेश के एक प्रमुख हिंदू संत और सामुदायिक नेता हैं। उनका मूल नाम चंदन कुमार धर था। वे बांग्लादेश के चट्टोग्राम (चटगांव) में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) से संबद्ध पुंडरीक धाम के प्रमुख हैं और बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता भी हैं।

दास बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए मुखर होकर आवाज उठाते रहे हैं। विशेष रूप से अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई और रैलियों का आयोजन किया। जिसके बाद बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार लिया था।

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