कौन हैं सुशीला कार्की?: नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री की रेस में सबसे आगे; भारत से खास नाता

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पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की बन सकती हैं नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री। 

नेपाल में हिंसा के बीच Gen Z प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया है। पढ़ें पूरी खबर

Nepal Gen Z Protest Update: नेपाल में हिंसा और तनाव के बीच अंतरिम प्रधानमंत्री के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया है। आइए जानते हैं सुशीला कार्की कौन हैं और उनका नाम ही क्यों सुझाया गया?

सुशीला कार्की बदलाव का चेहरा क्यों?

73 वर्षीय सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं। राजनीति से वह हमेशा दूर रही हैं, लेकिन अपनी पारदर्शी और भरोसेमंद छवि के कारण वह दर्शनकारियों की नजर में अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त हैं। Gen Z की वर्चुअल बैठक में उन्हें 3 हजार से ज्यादा सदस्यों का समर्थन मिला है।

BHU से किया ग्रेजुएशन

पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से स्नातक किया है। 5,000 से ज़्यादा युवाओं की राष्ट्रव्यापी वर्चुअल मीटिंग में सुशीला कार्की को भारी समर्थन मिला। उन्हें 50% यानी 3 हजार से ज्यादा वोट मिले है।

2016 में बनीं पहली महिला मुख्य न्यायाधीश

बीएचयू की पूर्व छात्रा सुशीला कार्की 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उनकी निडर और भ्रष्टाचार-मुक्त छवि ने उन्हें इस संकट के दौर में लोगों की पसंदीदा बना दिया है।

जज से पहले शिक्षिका थीं सुशीला

इंडिया टूडे की रिर्पोट के मुताबिक, सुशीला कार्की न्यायपालिका में प्रवेश करने से पहले एक शिक्षिका थीं। उनकी निडर, सक्षम और भ्रष्टाचार-मुक्त कार्यशैली के कारण 2006 की संवैधानिक मसौदा समिति का हिस्सा बनीं। 2009 में सुप्रीम कोर्ट का तदर्थ न्यायाधीश नियुक्त किया गया। अगले साल वह स्थायी न्यायाधीश बन गईं। 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उन्हें मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्ति किया।

सुशीला कार्की भ्रष्टाचार और राजनीतिक अक्षमता के खिलाफ जनाक्रोश के बीच बाहरी, लेकिन सक्षम चेहरा मानी जाती हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब कार्की को जनता और कानूनी वर्ग दोनों का समर्थन मिल रहा है।

नेपाल में क्या हो रहा है?

नेपाल में मोबाइल बैन करने के बाद शुरू हुई हिंस्सा में अब 30 से ज्यादा मौतें हुई हैं। 1300 से अधिक लोग घायल हैं। संसद, मंत्रियों और प्रधानमंत्री ओली के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया गया। राजधानी काठमांडु में सेना की बख्तरबंद गाड़ियाँ तैनात हैं।

नेपाल में क्यों हुआ Gen Z विद्रोह ?

नेपाल में यह विद्रोह (आंदोलन) 28 वर्ष से कम उम्र के युवा कर रहे हैं। यह लोग राजनीतिक दलों से पूर्णत: असंतुष्ट हैं। वह देश में संपूर्ण संविधानिक सुधार, नई चुनाव प्रणाली, राजनीति में जवाबदेही और पारदर्शिता चाहते हैं।

पूर्व SC जज बलराम केसी ने नए चुनावों की वकालत की है, वहीं आंदोलन से जुड़े वकील रमन कुमार कर्ण ने कहा, अब प्रदर्शनकारी सेना प्रमुख से मुलाकात कर अपनी मांगें रखेंगे।

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