नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर Gen-Z रिवोल्यूशन: 20 की मौत, काठमांडू में देखते ही गोली मारने का आदेश; गृह मंत्री ने दिया इस्तीफ़ा

नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर बवाल, युवाओं का हिंसक प्रदर्शन
Gen-Z Revolution: नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ ‘Gen-Z रिवोल्यूशन’ हिंसक प्रदर्शनों में बदल गया है, जिसने देश को अशांति की आग में झोंक दिया। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में युवाओं और सुरक्षाबलों के बीच हुई झड़पों में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा घायल हैं।
सरकार के 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के फैसले ने युवाओं में आक्रोश भड़का दिया, जो भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को भी उठा रहे हैं। काठमांडू में कर्फ्यू लागू है, और ‘देखते ही गोली मारने’ का आदेश जारी होने से तनाव चरम पर है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आपात कैबिनेट बैठक बुलाई है, जबकि देशभर में परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। सेना की तैनाती और हिंसक झड़पों के बीच नेपाल में स्थिति गंभीर बनी हुई है।
Nepal Home Minister Ramesh Lekhak resigns from post after worst violence in two decades which claimed 19 lives
— ANI Digital (@ani_digital) September 8, 2025
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Gen-Z आंदोलन का सबसे बड़ा असर- कैबिनेट मीटिंग में गृह मंत्री रमेश लेखक ने उग्र प्रदर्शनों के दौरान हुई मौतों की जिम्मेदारी लेते हुए PM ओली को अपना इस्तीफा दे दिया है।
घुटनों से ऊपर- अंधाधुंध गोलीबारी
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "कुछ देर पहले पुलिस ने गोलियां चलाईं, जो मुझे नहीं लगीं, लेकिन मेरे पीछे खड़े मेरे दोस्त को जा लगीं। उसके हाथ में गोली लगी। गोलीबारी अभी भी जारी है और संसद के अंदर से भी गोलियों की आवाज़ सुनाई दे रही है। मेरा एक दोस्त, जो सड़क पर खड़ा था, उसके सिर में गोली लगी है। पुलिस बिना किसी संकोच के घुटनों से ऊपर निशाना साधकर अंधाधुंध गोलियां चला रही है। क्या उन्हें इस तरह गोली चलाने की अनुमति है?"
Kathmandu, Nepal: A protester says, "A while ago, the police fired bullets which did not hit me but hit a friend of mine standing behind me. He was shot in the hand. The firing is still going on and we can hear gunfire from inside the parliament as well. My friend, who was… https://t.co/2gM8GGjJdx pic.twitter.com/qV6gI9x5SF
— ANI (@ANI) September 8, 2025
क्यों भड़के लोग?
नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और स्नैपचैट समेत 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया है। सरकार का कहना है कि ये कंपनियां नेपाल में पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कराए बिना कारोबार कर रही थीं।
🚨 #Nepal में ओली ने करप्शन से ध्यान भटकाने के लिए भारत से बॉर्डर विवाद को हवा दी।
— Madhurendra kumar मधुरेन्द्र कुमार (@Madhurendra13) September 8, 2025
📌लिपुलेख का मुद्दा काठमांडू से लेकर बीजिंग तक उठाया.
📌 बात नहीं बनी तो सोशल मीडिया पर बैन लगाया।
📌 सरकार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा फूटा. सड़क से संसद तक विद्रोह की गूंज से दहल रहा है… pic.twitter.com/t2cQ4zszsN
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 28 अगस्त को सभी कंपनियों को सात दिन की मोहलत दी थी, लेकिन समय सीमा खत्म होने तक किसी भी कंपनी ने आवेदन नहीं किया। इसके बाद गुरुवार को सरकार ने बैन का फैसला लिया।
कर्फ्यू कहां लगा है?
मुख्य जिला अधिकारी छबीलाल रिजाल ने स्थानीय प्रशासन अधिनियम की धारा 6 के तहत कर्फ्यू का आदेश जारी किया।
- न्यू बानेश्वर चौक से एवरस्ट होटल और बिजुलीबाजार आर्च ब्रिज तक
- न्यू बानेश्वर से मिन भवन, शांतिनगर होते हुए टिंकुने चौक तक
- न्यू बानेश्वर से आईप्लेक्स मॉल, रत्न राज्य माध्यमिक विद्यालय और शंखमुल ब्रिज तक
- कर्फ्यू के दौरान किसी भी तरह की आवाजाही, सभा, जुलूस और नारेबाजी पर रोक रहेगी।
#WATCH | Nepal | Protest turned violent in Kathmandu as people staged a massive protest outside Kathmandu Parliament against the ban on Facebook, Instagram, WhatsApp and other social media sites, leading to clashes between police and protesters. pic.twitter.com/XsGv1u6UFY
— ANI (@ANI) September 8, 2025
प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार और आंसू गैस छोड़े गए
पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए पहले बैरिकेड लगाए थे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इन्हें तोड़ दिया। इसके बाद सुरक्षा बलों ने पानी की बौछार और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। वहीं प्रदर्शनकारियों ने पेड़ की शाखाएं और पानी की बोतलें फेंककर जवाब दिया। कई युवक संसद भवन परिसर तक पहुंच गए।
पीएम ओली का बयान
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने साफ किया है कि सरकार सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, लेकिन जो कंपनियां देश के कानून का पालन नहीं करतीं और यहां से पैसा कमाती हैं, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ओली ने कहा, ''राष्ट्र की गरिमा और संप्रभुता से बड़ा कुछ नहीं है। अगर कंपनियां कानून और संविधान की अनदेखी करती हैं तो कार्रवाई जरूर होगी।''
