ये कैसी तरक्की?: सर्जरी नहीं करा पाते 16 करोड़ लोग, लैंसेट जर्नल की रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे

लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट, हर साल 16 करोड़ लोग जरूरी सर्जरी से वंचित
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लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट, हर साल 16 करोड़ लोग जरूरी सर्जरी से वंचित

गरीब देशों में चिकित्सा संसाधनों की भारी कमी है। लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 16 करोड़ लोग जरूरी सर्जरी से वंचित रह जाते हैं।

Lancet Report Health Inequality 2025: दुनिया चांद में बसाने की तैयारी है, लेकिन बड़ी आबादी ऐसी भी है, जिन्हें जरूरी उपचार तक मुहैया नहीं हो पाता। प्रतिष्ठित लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, गरीब देशों में कुशल चिकित्सक और हेल्थ कर्मचारियों का नितांत अभाव है। हर साल 16 करोड़ लोग सर्जरी नहीं करा पाते, क्योंकि उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं होते।

स्वास्थ्य सेवाओं की गहरी असमानता

लैंसेट जर्नल की यह रिपोर्ट, स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता को भी उजागर करती है। बताया कि मध्यम आय वाले देशों में आज भी सस्ती, सुरक्षित और समय पर सर्जरी एक सपना बना हुई है। इन देशों की 26% आबादी को दो घंटे में सर्जरी मुहैया कराने के प्रयास होते हैं। प्रति लाख जनसंख्या पर 5,000 सर्जरी का मानक अब भी अधूरा है।

सर्जरी की गुणवत्ता पर भी सवाल

रिपोर्ट में सर्जरी की उपलब्धता ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर भी गंभीर चिंता जताई गई है। बताया कि देखभाल की कमी और प्रशिक्षित कर्मचारियों के अभाव में सर्जरी के बाद लोग संक्रमण के शिकार हो जाते हैं।

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में सर्जरी ही उपाय

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि स्तन, पेट, कोलन और रेक्टल कैंसर जैसी जटिल बीमारियों में सर्जरी प्राथमिकता दी जाए तो कम आय वाले देशों में 8.84 लाख लोग दोबारा काम पर लौट सकते हैं। यानी सर्जरी सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि आर्थिक पुनरुत्थान का भी माध्यम हो सकता है।

रिपोर्ट में सुझाए समाधान के उपाय

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्जरी की सुविधा बढ़ाना
  • स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित सर्जन और स्टाफ की भर्ती
  • कम लागत वाले मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
  • जनता के बीच स्वास्थ्य जागरूकता अभियान
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वित्तीय मदद

स्वास्थ्य नहीं, मानवता का संकट

लैंसेट जर्नल की यह रिपोर्ट दुनिया की बड़ी समस्या का रेखांकित किया है। एक ओर जहां विकसित देश अत्याधुनिक तकनीक पर काम कर रहे हैं, वहीं करोड़ों लोग सर्जरी जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। यह सिर्फ स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि मानवता का संकट है।

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