Khaleda Zia Death: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 की उम्र में ली आखिरी सांस

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
Khaleda Zia Death News: बांग्लादेश की राजनीति में दशकों तक अहम भूमिका निभाने वालीं, देश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की। खालिदा जिया को बांग्लादेश की राजनीति में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाना जाता रहा।
खालिदा जिया और शेख हसीना की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने करीब एक पीढ़ी तक बांग्लादेश की राजनीति की दिशा तय की। दोनों नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष, आरोप-प्रत्यारोप और चुनावी मुकाबले देश की राजनीति का स्थायी हिस्सा रहे।
पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी प्रमुख बेगम खालिदा जिया के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने कहा कि ढाका में खालिदा जिया के निधन की खबर से वह बेहद दुखी हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में खालिदा जिया के परिवार और बांग्लादेश के लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर उनके परिजनों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।
पीएम मोदी ने कहा कि बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में खालिदा जिया का योगदान ऐतिहासिक रहा, जिन्होंने न केवल अपने देश के विकास में अहम भूमिका निभाई, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उनके कार्यों और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
Deeply saddened to learn about the passing away of former Prime Minister and BNP Chairperson Begum Khaleda Zia in Dhaka.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 30, 2025
Our sincerest condolences to her family and all the people of Bangladesh. May the Almighty grant her family the fortitude to bear this tragic loss.
As the… pic.twitter.com/BLg6K52vak
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2015 में ढाका में खालिदा जिया से हुई अपनी मुलाकात को भी याद किया और कहा कि उन्हें उनके साथ हुई वह मुलाकात आज भी याद है। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि खालिदा जिया की दृष्टि और विरासत भारत-बांग्लादेश साझेदारी को आगे बढ़ाने में मार्गदर्शक बनी रहेगी। प्रधानमंत्री ने अंत में प्रार्थना करते हुए कहा कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
कौन थीं खालिदा जिया?
खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को हुआ था। वह बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं, जिनकी 1981 में एक सैन्य तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई थी। पति की मौत के बाद खालिदा जिया ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और धीरे-धीरे एक मजबूत जननेता के रूप में उभरीं। उन्होंने सैन्य शासन के खिलाफ बड़े जनआंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके बाद 1990 में तानाशाही शासन का अंत हुआ।
भारत से भी था खालिदा जिया का गहरा नाता
बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का भारत से भी गहरा संबंध रहा है। उनका जन्म वर्ष 1945 में जलपाईगुड़ी में हुआ था। उस समय यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत की बंगाल प्रेसीडेंसी के अंतर्गत अविभाजित दिनाजपुर जिला का हिस्सा था। वर्तमान में जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल का एक जिला है। वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के बाद खालिदा जिया का परिवार तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के दिनाजपुर शहर में जाकर बस गया।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
- पहला कार्यकाल: 1991 से 1996
- दूसरा कार्यकाल: 2001 से 2006
1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद खालिदा जिया पहली बार प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद 2001 के चुनाव में उन्होंने शेख हसीना को हराकर दोबारा सत्ता हासिल की।
शेख हसीना से राजनीतिक टकराव
खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच की प्रतिद्वंद्विता केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और वैचारिक भी मानी जाती रही। दोनों नेताओं के बीच चुनावी हार-जीत, विरोध प्रदर्शन और सत्ता संघर्ष ने बांग्लादेश को लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में रखा।
भ्रष्टाचार के आरोप और कानूनी लड़ाई
खालिदा जिया पर कई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए, जिन्हें वह हमेशा राजनीतिक साजिश बताती रहीं। जनवरी 2025 में बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ लंबित अंतिम भ्रष्टाचार मामले में उन्हें बरी कर दिया था, जिससे फरवरी में होने वाले चुनाव में उनके भाग लेने का रास्ता साफ हो गया था।
इलाज और विदेश यात्रा
खालिदा जिया लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं। जनवरी 2025 में अंतरिम सरकार ने उन्हें विदेश इलाज की अनुमति दी। इससे पहले शेख हसीना सरकार ने उनकी विदेश यात्रा की मांग कम से कम 18 बार खारिज की थी।
बांग्लादेश की राजनीति में विरासत
खालिदा जिया को बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली, बहुदलीय राजनीति और सत्ता संतुलन की प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया है।
