संसद शीतकालीन सत्र: "ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए..." PM मोदी के बयान पर इतना हंगामा क्यों बरपा? जानिए

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संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत पहले ही दिन जमकर हंगामे के साथ हुई। कई मुद्दों पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने दिखे। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित किया और विपक्ष पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि संसद में “ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह सत्र सिर्फ संवैधानिक परंपरा का निर्वाह नहीं है, बल्कि देश को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने वाली ऊर्जा का माध्यम है। उन्होंने हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि रिकॉर्ड मतदान लोकतंत्र की ताकत का प्रमाण है। पीएम मोदी के अनुसार, विपक्ष चुनाव नतीजों से परेशान है और पराजय की निराशा से बाहर नहीं निकल पा रहा।
उन्होंने विपक्ष को सलाह देते हुए कहा कि राजनीति में नकारात्मकता कभी-कभी काम आ सकती है, लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए सकारात्मक सोच जरूरी है। संसद को हार की हताशा निकालने का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। यह लोकतंत्र के लिए अस्वस्थ परंपरा है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कुछ पार्टियों ने संसद को राज्य-स्तरीय राजनीति का अखाड़ा बना दिया है, जबकि यह राष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीर चर्चा का सर्वोच्च मंच है।
पीएम मोदी के बयान से विपक्ष ने पलटवार किया- प्रियंका ने कहा कि मुद्दे उठाना ड्रामा नहीं है, संसद इसीलिए है। वहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि सबको पता है कि ड्रामा कौन करता है।
इसी मुद्दे पर हरिभूमि समूह के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी द्वारा विशेष शो शो 'चर्चा’ में बहस हुई।
बहस का विषय था-
‘विपक्ष को उपदेश, बड़ा क्लेश’
इस चर्चा में तीन प्रमुख पैनलिस्ट शामिल हुए-
- प्रियंका गुप्ता, प्रवक्ता AICC
- अजय शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार
- संतोष पांडेय, सांसद (भाजपा)
तीनों मेहमानों ने पीएम मोदी के बयान और सत्र के पहले दिन जिस तरह का जोरदार हंगामा हुआ, उस पर अपनी-अपनी राय रखी।

