MGNREGA की जगह G RAM G: संसद में 20 घंटे बहस, गांधी बनाम राम पर घमासान; यहां देखें इनसाइड स्टोरी
संसद में करीब 20 घंटे तक चली तीखी बहस और हंगामे के बाद आखिरकार MGNREGA 2005 की जगह VB-G RAM G 2025 (विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन) बिल दोनों सदनों से पारित हो गया।
पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में यह विधेयक लंबी चर्चा के बाद बहुमत के आधार पर पास हुआ। विपक्ष के भारी विरोध, नारेबाजी और आरोप–प्रत्यारोप के बावजूद सत्ता पक्ष अपने संख्याबल के दम पर बिल को पारित कराने में सफल रहा।
यह मामला सिर्फ एक कानून के बदलने तक सीमित नहीं रहा। बहस का केंद्र महात्मा गांधी के नाम और उनकी वैचारिक विरासत बन गई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने मनरेगा से गांधी का नाम हटाकर उनके विचारों और सम्मान पर प्रहार किया है। वहीं भाजपा का तर्क रहा कि यह बदलाव “नाम” का नहीं बल्कि “दृष्टि” का है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण रोजगार और आजीविका को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनाना है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह गांधी की हार है या उनकी, जिन्होंने उनके नाम पर लंबे समय तक राजनीति की? क्या यह कांग्रेस के लिए एक वैचारिक परीक्षा है या फिर यह बदलाव दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच के अनुरूप “नए भारत” की परिकल्पना को आगे बढ़ाने की कोशिश है?
गांधी पर घमासान- क्या कांग्रेस के लिए इम्तिहान है?
हरिभूमि और INH के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने इसी मुद्दे पर एक विशेष "चर्चा की, जिसमें देश के अलग-अलग वैचारिक पक्षों के दिग्गज शामिल हुए।
- डॉ. वरुण पुरोहित (गांधीवादी विचारक),
- रमेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार)
- डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान (भाजपा प्रवक्ता)
- शैलेश नितिन त्रिवेदी (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता)
सभी ने स्पष्ट तौर पर अपने-अपने तर्क रखे। किसने क्या कहा?
