जी राम जी: मनरेगा का नाम क्यों बदला गया? चर्चा में बड़ा खुलासा, देखें वीडियो

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मनरेगा का नाम बदलकर ‘जी राम जी’ रखने पर सियासी घमासान तेज। क्या इससे ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा या यह सिर्फ राजनीति है? पूरी चर्चा पढ़ें।

शीतकालीन सत्र के दौरान 16 दिसंबर को लोकसभा में केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार से जुड़ा एक अहम बिल पेश किया। कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे विकसित भारत के विज़न से जोड़ते हुए एक नई योजना के रूप में प्रस्तुत किया, जिसे मनरेगा के स्थान पर ‘जी राम जी’ (ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन) नाम दिया गया है।

मनरेगा की शुरुआत वर्ष 2004 में यूपीए सरकार के दौरान हुई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को साल में 100 दिन का सुनिश्चित रोजगार देना था। 2010 में इस योजना को महात्मा गांधी के नाम से जोड़ा गया और यह मनरेगा कहलाने लगी। कोविड काल में इस योजना ने ग्रामीण भारत के लिए जीवनरेखा का काम किया।

अब नाम बदलने के फैसले ने राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर महात्मा गांधी का नाम हटाया है, जो वैचारिक द्वेष को दर्शाता है। वहीं शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि महात्मा गांधी स्वयं रामराज्य की परिकल्पना करते थे, इसलिए ‘जी राम जी’ नाम प्रेरणास्रोत है, न कि अपमान।

इसी मुद्दे पर हरिभूमि–INH के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने एक विशेष पैनल चर्चा की।

इसमें विशेष चर्चा का हिस्सा बने-

  • रत्नाकर सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
  • सिद्धार्थ तंवर, कांग्रेस प्रवक्ता
  • प्रेम कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

चर्चा में सवाल उठा-

मनरेगा का नाम कयों बदला गया?

क्या नाम बदलने से योजना की आत्मा बदलेगी?

क्या ‘जी राम जी’ से वाकई रोजगार की गारंटी मजबूत होगी या यह सिर्फ राजनीतिक प्रतीकवाद है? किसने क्या कहा, जानने के लिए देखिए पूरी चर्चा

यहां देखिए पूरा वीडियो


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