कामयाबी की 100% गारंटी के लिए, समय को करें कुछ इस तरह यूज

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By - haribhoomi.com |2 April 2015 6:30 PM
उज्ज्वल भविष्य के लिए करें समय का सदुपयोग
नई दिल्ली . अपने जीवन में सफल होने और उज्ज्वल भविष्य के लिए समय का सदुपयोग सबसे जरूरी है। समय की महत्ता के बारे में डॉ. कलाम ने बहुत महत्वपूर्ण बातें अपनी पुस्तक ‘आपका भविष्य आपके हाथ में’ में बताई हैं। प्रस्तुत है उसका एक संपादित अंश। समय को हमेशा, लगातार चलते रहने वाला बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि समय का न तो आदि है और न अंत। फिर भी मानव उसे साल, महीने, दिन, घंटे, मिनट और सेकेंड में मापने में कामयाब रहा। मानव ने भूत, वर्तमान और भविष्य जैसे शब्दों को अर्थ दिए। समय कभी नहीं रुकता, वह चलता ही रहता है। जो कल था, वह आज नहीं है। आज जो है, वह कल नहीं रहेगा। कल बीत गया। आज यह है और कल का आना अभी बाकी है।
जैसा कि आप सब को पता है, पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे, या 1440 मिनट या 86400 सेकेंड घूमती है, जिससे दिन और रात बनते हैं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा भी करती है, जिसके एक चक्कर में उसे करीब एक साल लग जाता है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी होते ही पृथ्वी पर रहते हुए आपकी उम्र एक साल बढ़ जाती है। सृष्टि की हरेक गति समय से जुड़ी हुई है। जन्म, विकास और मृत्यु होते हैं। एक बच्चा पैदा होता है, फिर समय बीतने के साथ वह किशोर होता है, युवा होता है, मध्य वय का होता है और फिर बूढ़ा हो जाता है। ऋतुएं भी समय के अनुसार आती हैं। पौधों में फूल आते हैं और फल लगते हैं। एक महीने में धान नहीं उगता और न ही एक साल में एक बच्चा वयस्क हो सकता है। हर चीज का समय होता है, और हरेक चीज अपने समय से होती है।
समय एक स्वतंत्र शक्ति है। वह किसी का इंतजार नहीं करता। आमतौर पर कहा जाता है कि समय और ज्चार नहीं करते किसी आदमी का इंतजार। समय ही धन है। एक भी मिनट अगर काम के लिए नहीं खर्च हुआ तो समझें नुकसान हमेशा के लिए हुआ। वह खोया मिनट कभी वापस नहीं मिल सकता। जब लोहा गर्म हो तभी हमें उसपर चोट करनी चाहिए क्योंकि वक्त बीत जाता है तो फिर लौट के नहीं आता। अगर आप समय को बर्बाद करते हैं तो वह आपको बर्बाद कर देता है। शेक्सपीयर ने अपने मशहूर नाटक ‘जूलियस सीजर’ (अंक 4, दृश्य 3) में बड़ी खूबसूरती से कहा है-लोगों के काम-काज में भी एक ज्वार है
बढ़ते पानी में उतरें तो नसीब शानदार है,पीछे छूटा जो जिंदगी के तमाम सफर में उथले में फंसे तो कष्टों की भरमार है अब जो चल पड़े खुले समंदर में हम बढ़ते रहें जब तक सागर मददगार है छूटे तो डूबे! यही व्यापार है!
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए,बहुत कुछ सिखाता है समय -
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