12 साल से बिलकुल कूड़ा नहीं किया है इस इंसान ने, जानिए कैसे किया ये सब...

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By - haribhoomi.com |19 Aug 2015 6:30 PM
थाणे के रहने वाले इस बुजुर्ग ने 12 साल से कोई भी कूड़ा घर से बाहर नहीं फेंका है।
थाणे. महाराष्ट्र के थाणे शहर के रहने वाले 65 साल के बुजुर्ग कौश्तूभ ताम्हनकर और इन्हे थाणे मैन के नाम से भी जाना जाता है। जिन्होने 12 साल से कोई कूड़ा अपने घर से बाहर नहीं फेंका है। अगर आप इनके घर की तस्वीर देखेंगे तो आपको कही कोई गंदगी नहीं मिलेगा। थाणे मैन का कहना है कि 12 सालों से मैने कोई भी कूड़ा नहीं किया है और नहीं एक पेपर के पीस का टूकड़ा भी। जो भी बेकार कचरा होता है उसे ये अपने घर में एक खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
ताम्हनकर इन चीजों को अपने घर पर रीसाइक्लिंग करते है। ताम्हनकर बताते है कि मेरी पत्नी को साफ सफाई बहुत पसंद है और मुझे भी। हम दोनों की पर्यावरण को साफ रखने में दोनो की एक राय है। मैने ध्यान से देखा कि जो बेकार की चीजें या कूड़ा हैं वो सभी एक कूड़ेदान से दूसरे कूड़ेदान में डाल दी जाती है और उसके बाद एक जगह पर कही बाहर फेंक दिया जाता है और फिर वही कूड़ा वायु प्रदूषण फैलाता है। जिससे कई तरह की बीमारियां होती है। तो फिर मैने सोचा कि मैं इस बेकार कूड़े को एक तरीके से प्रबंध करुंगा। जो कि एक तरह से वातावरण के लिए नुकसान नहीं पहुचाएगा। मैने इसकी शुरूआत, मैन सारे कूड़े के डिब्बों को घर से बाहर फेंक दिया। फिर उसके बाद मैने सूखे और गीले कूड़े को अलग करना शुरू किया। मेरे घर का कोई भी सदस्य पेपर एक टूकड़ा बाहर नहीं फेंकता है। हम सभी हम स्क्रैप डीलर को दे देते हैं।
आपको बता दें कि ताम्हनकर की बालकनी में 3 बैग हैं। एक बैग में गीला कूड़ा, दूसरे में सूखा कूड़ा और तीसले बैग में प्लास्टिक का कूड़ा डाला जाता है। वो बताते है कि "आप प्लास्टिक को खत्म नहीं कर सकते है। इसलिए मैने एक तंसा प्राइवेट कंपनी खोली है जो कि प्लास्टिक के पाइप बनाती है। और मैं इस प्लास्टिक का इस्तेमान पैकिंग के लिए करता है। बनाता हूं और बेचता हू।
कौश्तूभ ताम्हनकर ये भी बताते है, "वो कंटीन्यूअस प्रोसेसिंग इक्विपमेंट को बेचते हैं। इस इक्विपमेंट से एक टोकरी बनाते हैं जिसे एक त्रिकोणीय आकार फिल्टर के साथ जोड़ दिया जाता है। वो इस टोकरी को 900 रूपये में बेचते हैं। हर दिन बेकार कूड़े को इस टोकरी में डाल दिया जाता है। और उस पर स्प्रे से पानी छिडका जाता है। और फिर 4 सप्ताह बाद उसे गमले में मिला दिया जाता है। मैं इस इक्विपमेंट को बनाता हूं और 900 रूपये में खरीदने वालों को बेचता हूं" ताम्हनकर एक किताब भी लिख चुके हैं। आप इस किताब को दुकान से भी खरीद सकते हैं। और ये किताब गुजराती, हिंदी और मराठी भाषाओं में भी है।
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