अब मिलेगी धीमें इंटरनेट कनेक्शन से

नई दिल्ली. मोबाइल ऑपरेटर व टेलीफोन कंपनियों को उपभोक्ताओं को ब्रॉडबैंड स्पीड कम से कम 512 केबीपीएस (किलो बाइट प्रति सैकण्ड) देनी ही होगी। दूरसंचार विभाग की ओर से ब्रॉडबैंड स्पीड की न्यूनतम स्पीड का गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है। इसमें ब्रॉडबैंड को परिभाषित भी किया गया है, जिससे कंपनियों की मनमानी खत्म हो सके। इसमें ऑप्टिकल फाइबर और डाटा कार्ड दोनों शामिल हैं।
पहले न्यूनतम स्पीड 256 केबीपीएस थी-
राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2012 के तहत ब्रॉडबैंड की न्यूनतम स्पीड तय की गई है। पहले यह 256 केबीपीएस ही थी। हालांकि, इसके बावजूद लाखों उपभोक्ताओं के सिस्टम तक तय स्पीड नहीं पहुंच पा रही। स्थिति यह है कि बिल प्लान सर्किल के अंतिम दिनों में तो किसी भी वेबसाइट संचालन के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है। इसमें न तो दूरसंचार विभाग और न ही भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) सख्त कदम उठा रहा है।
2जी और 4जी के बारे में क्या सुझाया तर्क-
मोबाइल के 2जी सेवा में इंटरनेट कनेक्टिविटी है, जिसमें 144 केबीपीएस की अधिकतम स्पीड दी जा रही है। इसमें उपभोक्ता इंटरनेट से तो कनेक्ट हो जाता है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवा नहीं मिल पाती। इंटरनेट डायलअप सर्विस पर आधारित है। जबकि, 3जी व 4जी सेवा पूरी तरह से ब्रॉडबैंड आधारित है।
ब्रॉडबैंड को लेकर क्या दिया तर्क-
ब्रॉडबैंड एक डाटा कनेक्शन है जो कि इंटरनेट एक्सेस सहित अंतरसक्रिय सेवाओं को प्रदान करने में सक्षम है। ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराने से आशय सेवा प्रदाता के मौजूदगी स्थान (पॉइंट ऑफ प्रजेंस, पीओपी) से किसी उपभोक्ता को 512 केबीपीएस की न्यूनतम डाउनलोड गति प्रदान करने की क्षमता है।
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