भारत की अंतरिक्ष में सबसे लंबी छलांग, मानव मिशन की ओर बढ़ते कदम

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By - haribhoomi.com |18 Dec 2014 6:30 PM
जीएसएलवी एमके-3 का प्रक्षेपण
श्रीहरिकोटा. इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के भारतीय लक्ष्य की ओर नन्हे कदम बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार को इसरो ने अपने सबसे भारी प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी एमके-3 के प्रक्षेपण के साथ भेजे एक मानवरहित चालक दल मॉड्यूल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया।
सुबह साढे नौ बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की दूसरी प्रक्षेपण पट्टी (लॉन्च पैड) से इसके प्रक्षेपण से 730 सेकेंड बाद सीएआरई (क्रू मॉड्यूल एट्मॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट) बंगाल की खाड़ी में उतर गया। इससे पहले यह सक्रिय एस200 और एल110 प्रणोदक चरणों के साथ एलवीएम3-एक्स से अलग हो गया था। डीआरडीओ की आगरा स्थित प्रयोगशाला एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट द्वारा डिजाइन किए गए तीन स्तरीय पैराशूटों ने चालक दल मॉड्यूल को इंदिरा प्वाइंट से 180 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र में सुरक्षित उतरने में बहुत मदद की। इंदिरा प्वाइंट अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का दक्षिणतम बिंदू है। इसरो के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम के परियोजना निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा, ‘हमें चालक दल कैप्सूल में लगे बीकन से सिगनल मिले हैं।’
लोस ने दी बधाई: लोस अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन को सफलता की सूचना देते हुए कहा, ‘हमारे देश ने श्रीहरिकोटा से राकेट जीएसएलवी एमके-3 को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया है। वैज्ञानिकों को बधाई।क्षमता बढ़ी: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसरो को बधाई दी और कहा कि ‘जीएसएलवी-मार्क 3 का प्रक्षेपण हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम की अहम उपलब्धि है। भारत की अंतरिक्ष प्रक्षेपण क्षमताबढ़ी है। अंतरिक्ष क्षेत्र मजबूत हुए।पीएम की बधाई: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा-‘जीएसएलवी एमके-3 का सफल प्रक्षेपण वैज्ञानिकों की प्रतिभा और मेहनत की एक और सफलता है। उनके प्रयासों के लिए उन्हें हार्दिक बधाई।’ऐतिहासिक दिन: इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने कहा, ‘चार टन वजन की श्रेणी वाले संचार उपग्रह को कक्षा तक ले जा सकने वाले प्रक्षेपण वाहन के विकास से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में अहम दिन है।
ऐसा है जीएसएलवी-मार्क-3
वजन: 630 टन
लंबा: 43.43 मीटर
लागत: 155 करोड़ रुपये
ऐसा है माड्यूल
तीन टन का वजन
2.7 मीटर लंबाई
कप-केक के आकार का
व्यास 3.1 मीटर है
15 करोड़ का खर्च
आंतरिक सतह पर एल्यूमीनियम की मिश्र धातु है
विभिन्न पैनल एवं तापमान के कारण क्षरण से सुरक्षा करने वाले तंत्र हैं
आकार छोटे से शयनकक्ष के बराबर है
इसमें दो से तीन व्यक्ति आ सकते हैं।
दो साल में बनेगा इंजन
जीएसएलवी मार्क-3 में प्रयुक्त होने वाले क्रायोजेनिक इंजन को दो वर्ष में तैयार कर लिया जाएगा।
जीएसएलवी मार्क-3 चार टन वजनी पेलोड को ले जाने में सक्षम है।
क्रायोजेनिक इंजन तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में स्थित महेंद्रगिरी के तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र पर विकसित किया जा रहा है।
इसरो अगले साल मार्च के पहले सप्ताह में एक और भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली शृंखला उपग्रह प्रक्षेपित करने की तैयारी कर रहा है।
10 साल में चंद्रमा पर होंगे
भारत को मानव को अंतरिक्ष में भेजने में अभी 10 साल का समय लगेगा
इस प्रयोग ने अंतरिक्ष से मानव को सुरक्षित वापस लाने वाले मॉड्यूल का परीक्षण करने में स्पेस एजेंसी की मदद की है। दस साल बाद हम चंद्रमा पर तिरंगा फहराएंगे।
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