उत्तरकाशी धराली त्रासदी: मातम में बदली मेले की रौनक, प्रत्यक्षदर्शियों ने बयां की धराली हादसे की भयावहता

उत्तरकाशी धराली त्रासदी: बादल फटने से मचा कहर, मेला मातम में बदला
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उत्तरकाशी धराली त्रासदी: बादल फटने से मचा कहर, मेला मातम में बदला

उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को बादल फटने से भीषण तबाही मची। गांव का बाजार, मंदिर और होटल मलबे में दबे। जानें त्रासदी की पूरी कहानी और रेस्क्यू अपडेट।

Uttarkashi dharali Cloudburst: उत्तराखंड के धराली गांव में 5 अगस्त की दोपहर बाद एक ऐसा मंजर सामने आया जिसने 2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद ताजा कर दी। गंगोत्री घाटी क्षेत्र में करीब 1:30 बजे अचानक बादल फटा, और कुछ ही मिनटों में शांत गांव चीखों और मलबे के अंधकार में डूब गया।

जहां एक ओर गांव में मेले की तैयारियां जोरों पर थीं, वहीं कुछ ही सेकेंड में पूरा नजारा बदल गया। बाजार उजड़ गया, मंदिर ढह गया, होटल-मकान मलबे में समा गए और लोग अपने परिजनों को खोजते रहे।

तबाही की आंखों देखी: घर नदी के बीच पहुंच गए

धराली निवासी संजय पंवार इस भयावह त्रासदी को अपनी आंखों से देखा है। उन्होंने बताया कि मैंने अब तक ऐसी आपदा नहीं देखी। हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। कई घर नदी के बीच चले गए। होटल, दुकानें और गाड़ियां सब मिट्टी में मिल गईं।

संजय पंवार की कांपती आवाज, वीडियो में पीछे बजते सायरन और चारों ओर पसरा खौफ हादसे की उस भयावह स्थिति को भी बयां कर देता है, संजय पंवार जिसे शब्दों में बयां नहीं कर पाते।

मिनटों में तबाही, मेला बन गया मातम

धराली में मंगलवार को मेला लगने वाला था। गांव में त्योहार जैसा उत्सव था, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। पहाड़ों से आ रही पत्थरों की टक्कर की आवाजें, गांववालों के लिए मौत की दस्तक बन गईं। कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका मलबे से ढक गया।


राहत कार्य में जुटीं टीमें, लेकिन रास्ते मुश्किल

एसडीआरएफ और सेना की टीमें राहत और बचाव में जुटी हुई हैं, लेकिन कई स्थानों पर रास्ते पूरी तरह जाम या नष्ट हो चुके हैं। कई लोग अब भी लापता हैं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि बारिश के रुकने के बाद ही असली नुकसान का पूरा अंदाजा लगाया जा सकेगा।

चश्मदीद की अपील: ऐसी आफत किसी गांव पर न आए

संजय पंवार ने बताया कि भगवान से यही प्रार्थना है कि अब किसी गांव पर ऐसी आफत न बरसे। लोग खुले आसमान के नीचे हैं। जो लोग मलबे में दबे हैं, उनकी अब तक पहचान नहीं की जा सकी।

प्रकृति की चेतावनी या मानवीय लापरवाही?

धराली में आई तबाही सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है। बार-बार की त्रासदियां हमें याद दिलाती हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन हमें कितना भारी पड़ सकता है। यह एक भावनात्मक दस्तावेज है। जहां मेले की रौनक, उत्सव की उमंग और पहाड़ी गांव की शांति सब कुछ मातम में बदल गया।

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री से की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर धराली ट्रेजडी की जानकारी ली। सीएम धामी ने उन्हें बताया कि राज्य सरकार पूरी तत्परता से राहत कार्यों में लगी है। लगातार बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में कठिनाइयाँ आ रही हैं, लेकिन सभी संबंधित एजेंसियां समन्वय के साथ काम कर रही हैं। ताकि, प्रभावित लोगों को त्वरित सहायता मिल सके। प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

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