हरिद्वार जमीन घोटाला: दो IAS समेत 12 अधिकारी सस्पेंड, धामी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

Haridwar land scam: हरिद्वार में सामने आए करोड़ों रुपये के जमीन घोटाले में उत्तराखंड सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस हाई-प्रोफाइल मामले में दो आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल 12 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित 15 करोड़ रुपये की अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदने पर विवाद उठा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि न तो भूमि की तत्काल कोई आवश्यकता थी, और न ही खरीद में पारदर्शिता बरती गई। सचिव रणवीर सिंह चौहान ने 29 मई को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसके आधार पर सात अधिकारियों को निलंबित किया गया। भाजपा प्रवक्ता सुनीता विद्यार्थी ने कहा कि धामी सरकार "जीरो टॉलरेंस" की नीति पर काम कर रही है और भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निलंबित अधिकारी
- जिलाधिकारी - कर्मेन्द्र सिंह (IAS)
- पूर्व नगर आयुक्त - वरुण चौधरी (IAS)
- एसडीएम - अजयवीर सिंह (PCS)
- वरिष्ठ वित्त अधिकारी - निकिता बिष्ट
- कानूनगो - राजेश कुमार
- तहसील प्रशासनिक अधिकारी - कमलदास
- वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक - विक्की
पहले ही निलंबित हो चुके हैं ये अधिकारी
इससे पहले सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को निलंबित किया जा चुका है। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी समाप्त कर उन्हें जांच में शामिल किया गया है।
विजिलेंस जांच के आदेश
सरकार ने मामले की जांच विजिलेंस विभाग को सौंप दी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस जांच में और भी बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।
मुख्यमंत्री धामी का संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में अहम माना जा रहा है।
कांग्रेस बोली- दोषियों पर हो आपराधिक मुकदमा, संपत्तियों की भी हो जांच
हरिद्वार जमीन घोटाले में कार्रवाई पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि यह घोटाला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसमें प्रशासनिक तंत्र, राजस्व के साथ अन्य विभाग शामिल थे।उन्होंने आरोप लगाया कि 'सरकार के लोग ही सरकार को चूना लगा रहे थे।' जांच में खुलासा हुआ कि 15 करोड़ की जमीन के लिए 54 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। धस्माना ने कहा कि कांग्रेस के दबाव और धरने के बाद सरकार हरकत में आई और 12 अधिकारियों को सस्पेंड किया। उन्होंने मांग की कि इन अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए और संपत्तियों की जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
रिपोर्ट: अरुण सैनी
