बरेली का बवाल: तौकीर की अवैध साम्राज्य पर गरजेगा बुलडोजर, मज़ार की आड़ में बने 74 दुकान होंगे सील

मौलाना तौकीर रज़ा के खिलाफ योगी सरकार ने अवैध कब्ज़े पर बड़ी कार्रवाई की है। मज़ार की आड़ में बनी 74 दुकानें सील की गईं।
बरेली : उत्तर प्रदेश के बरेली में, मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान के खिलाफ योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। नग़र निगम ने तौकीर रज़ा पर मज़ार की आड़ में अवैध रूप से बनाए गए 74 दुकानों के बाज़ार को सील कर दिया है। ये दुकानें और उसके संगठन इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (IMC) का कार्यालय भी अवैध कब्ज़े की ज़मीन पर बना हुआ था, जिससे किराया वसूला जा रहा था।
यह कार्रवाई हाल ही में बरेली में हुए उपद्रव के बाद की गई है, जिसके लिए तौकीर रज़ा को भड़काऊ भाषण देने का आरोपित बनाया गया है। बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) ने भी तौकीर के करीबियों की छह अन्य अवैध संपत्तियां चिह्नित की हैं। उपद्रव के 28 अन्य आरोपितों को जेल भेजा गया है और शहर में इंटरनेट बंदी को 24 घंटे के लिए बढ़ा दिया गया है।
तौकीर रज़ा के बरेली में 74 दुकानें सील
मौलाना तौकीर रज़ा के अवैध कारोबार की परतें खुल गई हैं। आरोप है कि उन्होंने नॉवल्टी चौराहे पर स्थित पहलवान साहब की मज़ार की देखरेख की आड़ में सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा किया। 1992 में, उसने साज़िश के तहत मज़ार के असली देखरेख करने वाले व्यक्ति को हटवा दिया और अपने करीबी को बैठा दिया। इसके बाद, धीरे-धीरे मज़ार से सटी हुई दुकानों का निर्माण शुरू करवाया गया।
यह निर्माण तीन मंज़िला बाज़ार का रूप ले चुका था, जिसमें कुल 74 दुकानें बनी हुई थीं। तौकीर रज़ा पर्दे के पीछे से काम करते थे, जबकि उनके करीबी नफ़ीस इन दुकानों से लाखों रुपये का किराया वसूलते थे और उसे मौलाना तक पहुँचाते थे। यहां तक कि कुछ दुकानों की अवैध रूप से बिक्री भी कर दी गई थी, जिसके कागजात मौजूद नहीं थे।
निगम के 60 नोटिस हुए बेअसर, अब शासन हुआ सख़्त
यह अवैध निर्माण रातों-रात नहीं हुआ। नग़र निगम ने सबसे पहले 1995 में अवैध निर्माण और कब्जे के खिलाफ नोटिस जारी किया था, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर कब्ज़ा नहीं हटाया गया तो निर्माण ध्वस्त कर दिया जाएगा। हालाँकि, इस चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ। दुकानदार नोटिस के खिलाफ़ हाईकोर्ट भी गए, जहाँ कोर्ट ने आदेश दिया कि मज़ार को छोड़कर शेष अवैध निर्माण पर निगम अपने स्तर पर कार्रवाई करे।
इसके बावजूद, कथित तौर पर अधिकारियों की इच्छाशक्ति की कमी के कारण ये कब्ज़े नहीं हटाए जा सके। तब से लेकर अब तक, नगर निगम केवल 60 नोटिस जारी करने तक ही सीमित रहा। लेकिन, हाल ही में कानपुर विवाद के बहाने हुए उपद्रव के बाद, योगी सरकार ने सख़्ती दिखाई और अवैध कब्ज़े हटाने की कार्रवाई शुरू की।
उपद्रव के बाद एक्शन में प्रशासन
यह बड़ी कार्रवाई मौलाना तौकीर रज़ा द्वारा शुक्रवार को कानपुर के 'आई लव मोहम्मद' विवाद के नाम पर बरेली में कराए गए उपद्रव के बाद हुई है। मौलाना के उकसावे पर इकट्ठा हुई भीड़ ने शहर में पथराव और फायरिंग की थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इस घटना के बाद प्रशासन ने मौलाना तौकीर समेत 61 आरोपितों को जेल भेजा है और 6 को थाने से ज़मानत मिली है।
कार्रवाई के तहत, सोमवार दोपहर 12 बजे नगर निगम की टीम भारी पुलिस बल के साथ बाज़ार पहुँची और दुकानदारों को सामान हटाने के लिए तीन घंटे का समय दिया। इसके बाद, दोपहर तीन बजे 74 दुकानों पर सील लगा दी गई और नग़र निगम ने अपना कब्ज़ा वापस ले लिया। इसी बाज़ार में तौकीर के संगठन IMC का कार्यालय भी था, जिसे सील किया गया। ताला तोड़ने पर कुछ ज़रूरी कागज़ात बरामद हुए, जबकि कुछ जलाए जा चुके थे।
करीबियों की संपत्तियों पर भी नज़र, BDA की जाँच शुरू
नग़र निगम की कार्रवाई के साथ-साथ, बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) की टीम ने भी तौकीर रज़ा और उनके करीबियों के अवैध निर्माणों की जाँच शुरू कर दी है। BDA ने छह संपत्तियां चिह्नित की हैं, जिनका निर्माण मानकों के अनुरूप नहीं किया गया है। जाँच के दायरे में फाइक इन्क्लेव स्थित तीन मकान शामिल हैं- जिनमें IMC के पूर्व जिलाध्यक्ष फरहत, साजिद और रेहान के मकान हैं।
तौकीर रज़ा उपद्रव के बाद गुरुवार रात से शनिवार तड़के तक फरहत के घर ही छिपा हुआ था। BDA को आशंका है कि ये सभी भवन मानचित्र के विपरीत बने हैं। पुष्टि होने पर इन पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा, नफ़ीस के ब्लू मून होटल और रज़ा पैलेस समेत तीन अन्य भवनों को भी चिह्नित किया गया है।
शहर में शांति बहाली के प्रयास जारी: इंटरनेट पर पाबंदी बढ़ी
अधिकारियों के अनुसार, दिनभर चली इस बड़ी कार्रवाई के बीच, पुलिस ने उपद्रव के आरोप में IMC के पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम सहित 28 अन्य आरोपितों को जेल भेज दिया है। शहर में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
एहतियात के तौर पर, शहर में इंटरनेट बंदी को 24 घंटे के लिए और बढ़ा दिया गया है। अब 30 सितंबर की रात 12.30 बजे के बाद ही इंटरनेट सेवा के सुचारू होने की संभावना है। प्रशासन की इस सख़्ती से स्पष्ट है कि अब तौकीर रज़ा और उनके गुर्गों की संपत्तियों और अवैध गतिविधियों पर कड़ा शिकंजा कसा जा रहा है।
