रोजगार पथ पर उत्तर प्रदेश: योगी सरकार ने इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन को दी मंजूरी, देश के प्रमुख शहरों में खुलेंगे सैटेलाइट ऑफिस

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मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस खोले जाएंगे।

इस कदम से संस्था एक 'एकल निवेश सुविधा एजेंसी' के रूप में सशक्त होगी। पुनर्गठन के तहत, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए विशेषज्ञ सेल गठित किए जाएंगे।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के औद्योगिक निवेश ढांचे को मज़बूती प्रदान करने और राज्य में निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन को मंज़ूरी दे दी है। इस पुनर्गठन का मुख्य लक्ष्य संस्था को एकल निवेश सुविधा एजेंसी के रूप में सशक्त बनाना है, जो निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ परियोजनाओं के क्रियान्वयन की भी सक्रिय निगरानी करेगी। इस नई व्यवस्था के तहत, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए विशेषज्ञ सेल गठित किए जाएंगे। इसके अलावा, घरेलू निवेशकों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने के लिए मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस (निवेश प्रोत्साहन कार्यालय) स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह ढांचा त्वरित रूप से लागू करने और इसे पारदर्शी, कुशल तथा परिणामोन्मुखी बनाने का निर्देश दिया है। यह पहल प्रदेश में रोज़गार के नए अवसर पैदा करने और औद्योगिक प्रगति को गति देने में सहायक होगी।

विशेषज्ञ सेल और सैटेलाइट ऑफिस का गठन

इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन के तहत, औद्योगिक निवेश को गति देने के लिए महत्वपूर्ण संगठनात्मक बदलाव किए गए हैं। प्रमुख रूप से, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विस सेक्टर जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए विशेषज्ञता-आधारित सेल गठित किए जाएंगे। ये सेल अपने-अपने क्षेत्रों में निवेश संवर्धन के लिए रणनीति पर काम करेंगे।

सबसे अहम फैसलों में से एक है देश के पांच प्रमुख आर्थिक केंद्रों—मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली—में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस की स्थापना। इन कार्यालयों का उद्देश्य घरेलू और वैश्विक निवेशकों से सीधा संवाद स्थापित करना और उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि इन कार्यालयों का संचालन पूरी पारदर्शिता और दक्षता के साथ हो, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निवेश संवर्धन के लक्ष्य प्राप्त हों। पुनर्गठन के तहत, दो संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए जाएंगे और एक समर्पित भूमि बैंक प्रकोष्ठ भी बनेगा, जिसमें दो PCS अधिकारी तैनात होंगे।

एकल निवेश सुविधा एजेंसी' पर ज़ोर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि इन्वेस्ट यूपी का नया ढांचा इसे एक 'एकल निवेश सुविधा एजेंसी' के रूप में सशक्त करेगा। इसका अर्थ है कि इन्वेस्ट यूपी न केवल निवेश के प्रस्तावों को आकर्षित करने का काम करेगी, बल्कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन तक उनकी सक्रिय निगरानी भी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को और बेहतर बनाने के लिए निवेश मित्र पोर्टल 3.0 के माध्यम से प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाने का निर्देश दिया। इससे प्रक्रिया के समय में 30% तक और दस्तावेजी औपचारिकताओं में 50% तक कमी आएगी।

औद्योगिक प्रगति और उपलब्धियां

बैठक में उत्तर प्रदेश की औद्योगिक प्रगति का ब्यौरा भी पेश किया गया। बताया गया कि वर्ष 2024-25 में लगभग 4,000 नई फैक्ट्रियाँ स्थापित हुई हैं, जिससे राज्य में कुल फैक्ट्रियों की संख्या बढ़कर लगभग 27,000 तक पहुंच गई है। यह वृद्धि दर पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना अधिक है, जहां 2022-23 तक प्रतिवर्ष औसतन 500 नई इकाइयाँ स्थापित हो रही थीं। मुख्यमंत्री ने इस सफलता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म' मंत्र के सफल क्रियान्वयन और राज्य के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में आए सकारात्मक बदलाव का प्रमाण बताया।

बुनियादी सुविधा और सुरक्षा पर मुख्यमंत्री के निर्देश

मुख्यमंत्री ने निवेशकों के लिए भूमि, सब्सिडी के साथ-साथ प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए भी संवाद बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास 25,000 एकड़ से अधिक ग्रीनफील्ड भूमि और 6,300 एकड़ से अधिक रेडी-टू-मूव भूमि निवेश के लिए उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने 'सेफ सिटी' की तर्ज पर 'सेफ इंडस्ट्री' की परिकल्पना रखी, जिसके तहत औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने और पुख्ता सुरक्षा इंतज़ाम करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि मंडलायुक्त और जिलाधिकारी नियमित रूप से निवेशकों और उद्यमियों से संवाद करें, उनकी समस्याओं का समाधान करें, और इंडस्ट्रियल बिल्डिंग बायलॉज को और अधिक व्यावहारिक एवं निवेशक हितैषी बनाया जाए।


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