विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष: आस्था के शिखर से विश्व पर्यटन की नई उड़ान, भाव, विरासत और विकास का संगम

आस्था के शिखर से विश्व पर्यटन की नई उड़ान, भाव, विरासत और विकास का संगम
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योगी सरकार ने धार्मिक पर्यटन को अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार के रूप में स्थापित किया।

विश्व पर्यटन दिवस पर, उत्तर प्रदेश अपनी प्राचीन विरासत और धार्मिक पुनर्जागरण के दम पर वैश्विक पटल पर चमक रहा है। काशी विश्वनाथ धाम और अयोध्या राम मंदिर कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं ने तीर्थयात्रा को नया आयाम दिया है।

लखनऊ: आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर, यह हम उन स्थानों के महत्व को पहचानें जो न केवल हमारी संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करते हैं। उत्तर प्रदेश, भारत का एक ऐसा राज्य है जहां हर पर सदियों पुरानी विरासत और जीवंत अध्यात्म का अनुभव होता है। चाहे वह प्रेम का प्रतीक ताजमहल हो, मोक्षदायिनी काशी विश्वनाथ हो, या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या हो, उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में शुरू किए गए धार्मिक कॉरिडोर और बुनियादी ढाँचे के विकास ने यूपी को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक नया स्थान दिलाया है।

योगी सरकार द्वारा धार्मिक केंद्रों और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों उत्तर प्रदेश टूरिज्म के क्षेत्र में लगातार नए आयाम स्थापित कर रहा है जिससे न केवल लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि सीएम योगी के एक ट्रिलियन इकोनामी के सपने को भी सरकार कर रहा है।

आईए जानते उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल...

ताजमहल, आगरा

ताजमहल विश्व के सात अजूबों में से एक है और मुगल वास्तुकला का शिखर माना जाता है। यह भव्य मकबरा, जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था, पूरी तरह से सफेद संगमरमर से निर्मित है। इसकी नक्काशी और जटिल जड़ाई का काम, जिसे पिएत्रा ड्यूरा के नाम से जाना जाता है, यह 42 एकड़ के परिसर में फैला हुआ है, जिसमें एक विशाल मुगल गार्डन, एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस शामिल है।

यमुना नदी के तट पर स्थित यह स्मारक, सुबह की पहली किरण और पूर्ण चंद्रमा की रोशनी में अपना रंग बदलता प्रतीत होता है, जो इसे प्रेम का एक प्रतीक बनाता है। ताजमहल न केवल भारत की पहचान है, बल्कि यह हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करके उत्तर प्रदेश के पर्यटन का केंद्र बिंदु भी है।

वाराणसी (काशी)

गंगा नदी के किनारे बसा वाराणसी दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है और इसे भारत की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है। यह शहर भगवान शिव की नगरी है, जहां काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां की गलियाँ, घाट और गंगा आरती इसे एक अनूठा अनुभव प्रदान करते हैं। दशाश्वमेध घाट पर शाम को होने वाली भव्य गंगा आरती देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।

यह नगरी मोक्ष और मुक्ति की धारणा से जुड़ी हुई है, और मणिकर्णिका घाट जैसे श्मशान घाट जीवन की नश्वरता का अहसास कराते हैं। हाल ही में विकसित हुआ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने भक्तों के लिए मंदिर तक पहुंच को अत्यंत सुगम बना दिया है। वाराणसी भारतीय संस्कृति, संगीत, और दर्शन का जीवंत केंद्र बना हुआ है।

अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि

सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि होने के कारण हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धार्मिक महत्व रखती है। यहां नव-निर्मित राम जन्मभूमि मंदिर एक विशाल तीर्थयात्रा केंद्र बन चुका है। अयोध्या में केवल राम मंदिर ही नहीं, बल्कि हनुमानगढ़ी, कनक भवन, और दशरथ महल जैसे कई अन्य पवित्र स्थल भी हैं।

राज्य सरकार द्वारा इस शहर को विश्व स्तरीय आध्यात्मिक और पर्यटन केंद्र बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और व्यापक कनेक्टिविटी का विकास किया जा रहा है। सरयू नदी के घाटों का सौंदर्यीकरण और राम की पैड़ी पर होने वाला दीपोत्सव इस शहर की भव्यता को और बढ़ाता है, जो इसे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का एक प्रमुख गंतव्य बनाता है।

लखनऊ : शान ए अवध

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपनी समृद्ध नवाबी संस्कृति और अदब के लिए जानी जाती है, जिसने इसे 'नवाबों का शहर' और 'पूर्व का कॉन्स्टेंटिनोपल' का उपनाम दिया है। यह शहर मुगल और अवधी वास्तुकला के मिश्रण को प्रदर्शित करता है। यहां के प्रमुख आकर्षणों में बड़ा इमामबाड़ा शामिल है, जिसमें एशिया का सबसे बड़ा हॉल और प्रसिद्ध भूल भुलैया है।

इसके अलावा, छोटा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा और घंटाघर भी ऐतिहासिक महत्व के केंद्र हैं। लखनऊ न केवल अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए, बल्कि अपनी ज़ायकेदार अवधी व्यंजनों जैसे टुंडे कबाब और बिरयानी और चिकनकारी कढ़ाई के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। यह शहर आधुनिकता और पुरानी दुनिया के आकर्षण का एक सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।

प्रयागराज: संगम नगरी

प्रयागराज तीन पवित्र नदियों - गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम के लिए प्रसिद्ध है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। यह संगम हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, जहां प्रत्येक 12 वर्ष में महाकुंभ मेला और प्रत्येक 6 वर्ष में अर्धकुंभ मेला आयोजित होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा मानव जमावड़ा है।

संगम के अलावा, यहां मुगल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित ऐतिहासिक इलाहाबाद किला और बड़े हनुमान जी का मंदिर भी प्रमुख आकर्षण हैं। राजनीति और इतिहास के प्रेमियों के लिए आनंद भवन और स्वराज भवन महत्वपूर्ण हैं, जो नेहरू परिवार के निवास और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे हैं। प्रयागराज धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

फतेहपुर सीकरी, आगरा

फतेहपुर सीकरी आगरा के पास स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे मुगल सम्राट अकबर ने 16वीं शताब्दी में अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया था। हालांकि यह शहर पानी की कमी के कारण जल्द ही छोड़ दिया गया था, लेकिन यहां के स्मारक आज भी मुगल वास्तुकला की भव्यता को दर्शाते हैं। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसमें कई उत्कृष्ट इमारतें हैं।

यहां का बुलंद दरवाजा दुनिया के सबसे ऊंचे प्रवेश द्वारों में से एक है, जिसे अकबर ने गुजरात पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में बनवाया था। अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं में जामा मस्जिद, जोधाबाई का महल, और शेख सलीम चिश्ती का मकबरा शामिल हैं। यह एक शानदार शहर है जो मुगल साम्राज्य की कहानी कहता है।

सारनाथ: बौद्ध धर्म अनुयायियों का स्थल

वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित सारनाथ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है। सारनाथ में कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक संरचनाएं और स्तूप हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण धमेक स्तूप है, जिसे महान सम्राट अशोक ने बनवाया था।

इसके अलावा, यहां चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ के अवशेष और कई बौद्ध मठ भी हैं। सारनाथ में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है, जिसमें मौर्य काल और उसके बाद की कलाकृतियाँ संरक्षित हैं। यह स्थान शांति, आध्यात्मिकता और बौद्ध इतिहास में गहरी रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए अनिवार्य है।

मथुरा-वृंदावन

मथुरा-वृंदावन, जिसे सामूहिक रूप से बृजभूमि कहा जाता है, भगवान कृष्ण की लीलाओं और जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। मथुरा को भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है, जहां श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर स्थित है। वहीं, पास का वृंदावन वह स्थान है जहां कृष्ण ने अपना बचपन व्यतीत किया था। वृंदावन में हजारों मंदिर हैं, जिनमें से प्रेम मंदिर अपनी शानदार सफेद संगमरमर की वास्तुकला और प्रकाश व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है।

बांके बिहारी मंदिर और इस्कॉन मंदिर भी प्रमुख आकर्षण हैं। यहां के घाट और कुंड, जैसे कुसुम सरोवर और गोवर्धन पर्वत, भी श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय हैं। यह क्षेत्र अपनी होली के उत्सव और रासलीला परंपराओं के लिए भी जाना जाता है, जो भक्तों को एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

झांसी : रानी लक्ष्मी बाई की भूमि

झांसी शहर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जो मुख्य रूप से रानी लक्ष्मीबाई, यानी झांसी की रानी की वीरता के लिए जाना जाता है। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी निर्णायक भूमिका ने झांसी को इतिहास में एक अमर स्थान दिलाया। शहर का मुख्य आकर्षण झांसी का किला है, जो एक पहाड़ी पर स्थित एक विशाल और मजबूत संरचना है।

यह किला रानी लक्ष्मीबाई के निवास और उनके शासनकाल का गवाह है, और यहां से शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। रानी महल और संग्रहालय जैसे अन्य स्थल भी रानी की जीवन गाथा को दर्शाते हैं। झांसी भारतीय इतिहास और राष्ट्रवाद की भावना में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में स्थित दुधवा राष्ट्रीय उद्यान राज्य का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है। यह उन चुनिंदा स्थानों में से एक है जहा बारहसिंगा की आबादी संरक्षित है। यह पार्क अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, जिसमें बाघ, तेंदुए, हाथी, गैंडा और विभिन्न प्रकार के पक्षी शामिल हैं। यह प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए एक स्वर्ग है।

दुधवा में घने जंगल, घास के मैदान और दलदली क्षेत्र हैं, जो विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों को आवास प्रदान करते हैं। यह पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों से हटकर प्रकृति और पर्यावरण के अनुभव का मौका देता है।

कुशीनगर: बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल

कुशीनगर बौद्ध धर्म के चार सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के अंतिम चरण में महापरिनिर्वाण (अंतिम मुक्ति) प्राप्त किया था। यह बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण महापरिनिर्वाण मंदिर है, जिसमें बुद्ध की 6.1 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा है, जो उन्हें अंतिम क्षणों में दर्शाती है।

इसके अलावा, यहां रामाभार स्तूप भी स्थित है, जहां माना जाता है कि बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था। कुशीनगर में विभिन्न देशों जैसे जापान, थाईलैंड, श्रीलंका और चीन द्वारा निर्मित कई आधुनिक बौद्ध मंदिर और मठ भी हैं, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध पर्यटन का एक केंद्र बनाते हैं।

धार्मिक कॉरिडोर और पर्यटन विकास के लिए योगी सरकार के प्रयास

उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने धार्मिक पर्यटन को अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार के रूप में स्थापित करने और तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए व्यापक योजनाएं शुरू की हैं। इसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों पर विश्व-स्तरीय बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

प्रमुख सरकारी पहलें और उनसे आए बदलाव

श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर: सरकार ने 2021 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया। इस परियोजना ने संकरी गलियों को समाप्त कर दिया और मंदिर को गंगा नदी के तट से एक विशाल और भव्य मार्ग से जोड़ा। इससे मंदिर परिसर का क्षेत्रफल बढ़कर लगभग 5 लाख वर्ग फुट हो गया।

भक्तों के लिए घाट से सीधे मंदिर तक पहुंचना आसान हो गया है, जिससे भीड़ प्रबंधन और दर्शन सुगम हुए हैं। इसके परिणामस्वरूप, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है, जिससे वाराणसी का स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।

अयोध्या का समग्र विकास (राम जन्मभूमि कॉरिडोर): राम मंदिर के साथ-साथ पूरे अयोध्या शहर को विश्व स्तरीय आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें राम जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ, और रामपथ जैसे चौड़े मार्गों का निर्माण, घाटों का सौंदर्यीकरण (जैसे राम की पैड़ी), और महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण शामिल है, बेहतर सड़कों और हवाई कनेक्टिविटी से भक्तों के लिए अयोध्या तक पहुँचना आसान हो गया है। शहर का आध्यात्मिक माहौल और आकर्षण बढ़ा है, जिसने पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय रोजगार और बुनियादी ढांचे में सुधार किया है।

विंध्यवासिनी धाम कॉरिडोर (विंध्य कॉरिडोर): मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर के लिए भी काशी कॉरिडोर की तर्ज पर विंध्यवासिनी धाम कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मंदिर के चारों ओर की भूमि को अधिग्रहण कर उसे खुला और भव्य बनाना है, जिससे परिक्रमा मार्ग और श्रद्धालुओं की सुविधाओं में सुधार हो सके। इस कॉरिडोर के पूरा होने पर भीड़भाड़ कम होगी, और भक्तों को सुगम और सुरक्षित दर्शन की सुविधा मिलेगी, जिससे मिर्जापुर और आसपास के शक्तिपीठ पर्यटन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

ब्रज क्षेत्र और मथुरा कॉरिडोर: मथुरा-वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना और नंदगाँव सहित पूरे ब्रज क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें प्रेम मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थलों के आसपास के क्षेत्रों का विकास और गोवर्धन परिक्रमा मार्ग का जीर्णोद्धार शामिल है। इस क्षेत्र की पर्यटन क्षमता का विस्तार हुआ है और भक्तों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं। सड़कों का सुधार होने से तीर्थयात्रियों के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना आसान हो गया है।

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