दिल्ली ब्लास्ट का 'कानपुर कनेक्शन': तीन NGO के खातों से खुला 'व्हाइट-कॉलर' आतंकी नेटवर्क का राज, 132 संदिग्ध परिवार सहित ग़ायब!

तीन NGO के खातों से खुला व्हाइट-कॉलर आतंकी नेटवर्क का राज, 132 संदिग्ध परिवार सहित ग़ायब!
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एटीएस अब इन 132 संदिग्धों की तलाश में पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर चुकी है।

दिल्ली ब्लास्ट के तार कानपुर से जुड़े, जहां तीन स्थानीय एनजीओ के खातों से आतंकी फंडिंग का बड़ा विदेशी नेटवर्क सामने आया।

कानपुर : दिल्ली में हुए आत्मघाती धमाके और फरीदाबाद में मिले रिकॉर्ड विस्फोटक के बाद जांच एजेंसियों की आंखे अब उत्तर प्रदेश के कानपुर पर टिक गई हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी और यूपी एटीएस को कानपुर के घनी बस्तियों में सक्रिय तीन स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के बैंक खातों में आतंकी फंडिंग का एक बड़ा नेटवर्क मिला है, जिसके तार मास्टरमाइंड डॉ. शाहीन सईद से जुड़े हैं।

खातों में विदेश से भारी-भरकम संदिग्ध लेन-देन ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि यह 'व्हाइट-कॉलर' टेरर मॉड्यूल शहर में किसी 'बड़े' और घातक ऑपरेशन की तैयारी कर रहा था।

इस गंभीर खुलासे के बाद, कानपुर के संवेदनशील इलाकों से 132 संदिग्ध अपने घरों को ताला लगाकर रातोंरात गायब हो गए हैं, जिससे जांच एजेंसियों की चुनौती बढ़ गई है।

आतंकी फंडिंग का विदेशी रूट - तीन एनजीओ के संदिग्ध बैंक खाते

जांच एजेंसियों को कानपुर में सक्रिय तीन NGO के बैंक खातों में करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता चला है। ये खाते सीधे तौर पर दिल्ली ब्लास्ट की मुख्य आरोपी लखनऊ निवासी डॉ. शाहीन सईद और उसके सहयोगी डॉ. आरिफ मीर के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।

सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि इन खातों में खाड़ी देशों समेत अन्य विदेशी स्रोतों से भी मोटी रकम ट्रांसफर की गई थी।

एजेंसियों का मानना है कि इस रकम का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए स्लीपर सेल तैयार करने और स्थानीय स्तर पर मदद जुटाने के लिए किया जा रहा था।

NIA अब इन एनजीओ के सभी दस्तावेज, पिछले पांच सालों की बैंक डिटेल्स, और उनसे जुड़े कर्मचारियों के पासपोर्ट तथा आधार कार्ड की गहन जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह रकम कहा से आई और इसका अंतिम लाभार्थी कौन था।

युवती की आड़ में 'हनी ट्रैप' या 'मानव तस्करी' की आशंका

फंडिंग की पड़ताल में पता चला कि एनजीओ खातों से काफी रकम स्थानीय युवतियों के बैंक खातों में भी ट्रांसफर की गई थी।

इस संबंध में रायपुरवा इलाके से एक युवती को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। युवती ने बताया कि उसका खाता यह कहकर खुलवाया गया था कि विदेश में रहने वाले 'ज़रूरतमंदों की मदद' के लिए सीधे उसके खाते में पैसे भेजेंगे, जबकि उसका एटीएम और चेकबुक एनजीओ संचालकों के पास रहता था।

युवती ने बताया कि उसे एनजीओ के काम के लिए एक बार में 1300 रुपये तक दिए जाते थे। खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि यह पैसा युवतियों का इस्तेमाल 'हनी ट्रैप' के मामलों में करने या उन्हें किसी अन्य संदिग्ध गतिविधि में शामिल करने के लिए मेहनताने के तौर पर दिया जा रहा था। यह भी आशंका है कि इन खातों का इस्तेमाल केवल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था। युवती को फिलहाल 'शहर न छोड़ने' की शर्त पर छोड़ा गया है।

दिल्ली ब्लास्ट के बाद कानपुर से 132 संदिग्धों का सामूहिक पलायन

जांच में एक और सनसनीखेज तथ्य सामने आया है। दिल्ली धमाके के बाद से ही कानपुर के अतिसंवेदनशील और घनी आबादी वाले मोहल्लों से 132 संदिग्ध लोग अपने परिवार सहित रातोंरात गायब हो गए हैं। इन सभी संदिग्धों को जांच एजेंसियों ने चिह्नित किया था, लेकिन उनके घरों पर अब ताले लटके हुए हैं।

इनमें अधिकतर ऐसे लोग थे जो पिछले कुछ महीनों में अकेले ही किराये पर रहने आए थे, और मकान मालिकों ने उनका पुलिस सत्यापन भी नहीं कराया था।

इन सामूहिक पलायन से साफ संकेत मिलता है कि कानपुर में यह आतंकी नेटवर्क बेहद मजबूत था और इसे 'बड़े' हमले को अंजाम देने की सूचना पहले ही मिल गई थी, जिसके कारण ये लोग भूमिगत हो गए। एटीएस अब इन 132 संदिग्धों की तलाश में पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर चुकी है।

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