सावधान: यूपी में अब हाउस टैक्स के साथ वाटर और सीवर टैक्स अनिवार्य, न भरने पर होगी सख्त कार्रवाई

जिन शहरी निवासियों ने जल और सीवर कनेक्शन ले रखे हैं, उन्हें इन तीनों टैक्स का भुगतान एक साथ करना होगा।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी क्षेत्रों में टैक्स वसूली की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब राज्य में गृहकर के साथ-साथ जलकर और सीवर कर की वसूली अनिवार्य होगी। जिन शहरी निवासियों ने जलापूर्ति और सीवर कनेक्शन ले रखे हैं, उन्हें इन तीनों टैक्स का भुगतान एक साथ करना होगा।
सरकार का मानना है कि 'जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन' और 'अमृत-एक' जैसे मिशनों के तहत शहरों में सीवर लाइनें और पाइपलाइन बिछाई जा चुकी हैं, और कनेक्शन भी दिए जा रहे हैं, ऐसे में इन सुविधाओं के बदले शुल्क लेना आवश्यक है। नगर निगमों को निर्देश दिया गया है कि वे सर्वे कर उन लोगों की पहचान करें जो कनेक्शन लेने के बावजूद टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं, और ऐसे डिफॉल्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसका उद्देश्य निकायों की वित्तीय स्थिति को सुधारना और जनता को बेहतर नागरिक सुविधाए प्रदान करना है।
टैक्स वसूली की अनिवार्यता और सरकार का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में अब नागरिक सुविधाओं के बदले शुल्क लेना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जिन घरों और प्रतिष्ठानों में जलापूर्ति और सीवर के कनेक्शन दिए गए हैं, उनसे गृहकर के साथ जलकर और सीवर कर भी अनिवार्य रूप से वसूला जाए।
इस फैसले के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य नगर निगमों और स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना है। पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाचे के विकास का काम हुआ है। 'जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन' और 'अमृत-एक जैसी योजनाओं के तहत, सीवर लाइनें बिछाने और शुद्ध पानी की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा किया जा चुका है। लाखों घरों में कनेक्शन भी दिए जा चुके हैं।
हालांकि, निकायों द्वारा की गई समीक्षा में यह सामने आया है कि इन सुविधाओं के बदले जलकर और सीवर कर की वसूली उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रही थी। बहुत से लोग कनेक्शन लेने के बावजूद इन टैक्सों का भुगतान नहीं कर रहे थे। इससे स्थानीय निकायों के पास इन सुविधाओं के रखरखाव और परिचालन के लिए पर्याप्त धन की कमी हो रही थी।
सरकार का मानना है कि नागरिकों को प्रदान की गई सुविधाओं के बदले शुल्क लेना न केवल निकायों के लिए राजस्व का एक स्थिर स्रोत सुनिश्चित करेगा, बल्कि सेवाओं की गुणवत्ता और निरंतरता को बनाए रखने में भी मदद करेगा। इस अनिवार्य वसूली से यह भी सुनिश्चित होगा कि जिन लोगों को सुविधा मिल रही है, वे उसके लिए भुगतान करें, जिससे एक न्यायसंगत व्यवस्था स्थापित हो सके।
डिफॉल्टरों की पहचान और सख्त कार्रवाई की तैयारी
सरकार ने टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। नगर विकास विभाग ने राज्य के सभी नगर निगमों और स्थानीय निकायों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे एक व्यापक सर्वे अभियान चलाए। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य उन सभी घरों और प्रतिष्ठानों की पहचान करना होगा, जिन्होंने जलापूर्ति और सीवर कनेक्शन तो ले लिए हैं, लेकिन लंबे समय से जलकर और सीवर कर का भुगतान नहीं किया है।
निकायों से यह रिपोर्ट भी मांगी गई है कि अब तक तीनों टैक्सों की वसूली के लिए कितने एकीकृत बिल जारी किए गए हैं, और कितने लोग एक साथ इन सभी टैक्सों का भुगतान कर रहे हैं। सर्वे में डिफॉल्टर पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की योजना है। इसमें कानूनी प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाना, बकाया वसूली के लिए नोटिस जारी करना, और अंतिम विकल्प के रूप में कनेक्शन काटने जैसी कार्रवाई भी शामिल हो सकती है। सरकार का यह कदम साफ संदेश देता है कि अब टैक्स चोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और नागरिकों को अपने दायित्वों को पूरा करना होगा।
नागरिकों पर संभावित प्रभाव और बिल भुगतान में सुविधा
इस नए नियम का सीधा असर उन शहरी निवासियों पर पड़ेगा जो अभी तक केवल हाउस टैक्स का भुगतान कर रहे थे, लेकिन जलकर और सीवर कर देने से बच रहे थे। उन्हें अब अपनी मासिक या वार्षिक वित्तीय योजना में इन दोनों अतिरिक्त शुल्कों को शामिल करना होगा। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह कदम लंबी अवधि में नागरिकों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे नागरिक सुविधाओं का रखरखाव बेहतर होगा और उन्हें शुद्ध पानी की लगातार आपूर्ति तथा प्रभावी सीवर प्रणाली का लाभ मिलता रहेगा।
इस पूरी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नगर निगमों में एक ही बिल जारी करने की व्यवस्था पर काम हो रहा है। इसके तहत, गृहकर, जलकर और सीवर कर का विवरण एक ही बिल में होगा, जिससे लोगों को अलग-अलग विभागों के चक्कर लगाने या कई बिल जमा करने की जटिलता से मुक्ति मिलेगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह केवल एक राजस्व वसूली का मामला नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहाँ सुविधाओं का उपभोग करने वालों को उसके बदले भुगतान करना होगा।
