वाराणसी में जल प्रलय: 125 साल का रिकॉर्ड ध्वस्त, जाते मानसून ने शहर को डुबोया; जनजीवन अस्त-व्यस्त!

125 year old record break running in Varanasi
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मौसम विभाग ने 6 अक्टूबर तक भारी बारिश जारी रहने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसके बाद धीरे-धीरे ठंड बढ़ेगी।

वाराणसी में पिछले 24 घंटों में 140.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिसने अक्टूबर महीने का 125 साल पुराना रिकॉर्ड (1900 का 138.9 मिमी) तोड़ दिया है। जाते मानसून की इस भीषण बारिश ने शहर को पूरी तरह से डुबो दिया है।

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी में इस बार मानसून की विदाई आक्रामक रही है। बीते 24 घंटों में हुई मूसलाधार बारिश ने 125 साल का एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जिससे न केवल शहर का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं की भी पोल खुल गई है।

बीते शुक्रवार को शुरू हुई बारिश ने शनिवार को भी अपना प्रचंड रूप दिखाया। मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटों में वाराणसी में 140.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिसने अक्टूबर महीने में हुई पिछली सबसे अधिक बारिश के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। इससे पहले, 9 अक्टूबर 1900 को 138.9 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो अब तक का सबसे पुराना रिकॉर्ड था। हालांकि, यह इस सीजन की दूसरी सबसे भारी बारिश है; इससे पहले 23 अगस्त को 162 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी।

शहर बना तालाब, अस्पताल से लेकर गली-मोहल्ले तक जलमग्न

इस रिकॉर्ड तोड़ बारिश का सबसे बुरा असर शहर के निचले इलाकों, पॉश कॉलोनियों और महत्वपूर्ण संस्थाओं पर पड़ा है। शहर की सड़कें तालाब बन गई हैं, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया।

सबसे चिंताजनक स्थिति काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल में देखने को मिली, जो पूर्वांचल के सबसे बड़े चिकित्सा केंद्रों में से एक है। अस्पताल परिसर और उसके अंदरूनी हिस्सों में कमर तक पानी भर गया, जिससे मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। जलभराव के कारण डॉक्टरों को ऊंचे स्थानों पर ओपीडी लगाकर मरीजों को देखना पड़ा।

शहर के अन्य प्रमुख और व्यस्त इलाकों जैसे गोदौलिया, गिरजाघर, रवींद्रपुरी, लंका, और सामनेघाट में भी दो से तीन फीट तक पानी भर गया। कई स्थानों पर गाड़ियाँ बीच रास्ते में बंद हो गईं, और लोग आसमानी आफत के आगे बेबस और लाचार नजर आए। कई जगह तो गलियां और मोहल्ले पूरी तरह से जलमग्न हो गए, जिससे घरों में भी पानी घुस गया और लोगों का खाद्यान्न और गृहस्थी का सामान भीग गया।

जलभराव को देखते हुए जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कक्षा आठवीं तक के सभी स्कूलों को शनिवार को बंद रखने का आदेश दिया।

मौसम में बड़ा बदलाव: तापमान में भारी गिरावट और ठंड की दस्तक

अचानक हुई इस भारी बारिश के कारण वाराणसी के तापमान में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, शहर का अधिकतम तापमान 6.7 डिग्री सेल्सियस लुढ़ककर अब 27 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका है, जो सामान्य से ढाई डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान में भी कमी देखने को मिली है।

तापमान में आई इस कमी के चलते अब लोगों को सुबह और रात के समय गुलाबी ठंड और सिरहन का एहसास होने लगा है। मौसम विभाग के अनुसार यह बारिश बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के कारण हुई है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है, जिसका अर्थ है कि शनिवार और रविवार को भी मूसलाधार बारिश जारी रहने के आसार हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून की इस विदाई के बाद अब धीरे-धीरे ठंड दस्तक देगी। तापमान में लगातार कमी देखने को मिलेगी और दीपावली तक मौसम पूरी तरह बदल जाएगा और ठंड अपने पूरे शबाब पर होगी। इस अतिरिक्त बरसात से धान जैसी खरीफ की फसलों को लाभ होने की उम्मीद है, लेकिन सब्जियों और शहरी व्यवस्था के लिए यह आफत बनकर आई है।

वाराणसी में 125 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाली यह बारिश, शहर की ड्रेनेज और जल निकासी व्यवस्था की गंभीर कमियों को उजागर करती है। महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों और अस्पतालों में जलभराव होना दिखाता है कि शहर की बुनियादी ढांचा इस तरह की अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। प्रशासन के लिए अगले कुछ दिन एक बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि उन्हें जलभराव को कम करने और प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन बहाल करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा।



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