Local for vocal: दिवाली से पहले उत्तर प्रदेश में 'स्वदेशी मेला', हस्तशिल्पियों को मिलेगा 1500 करोड़ का बाजार

दिवाली से पहले उत्तर प्रदेश में स्वदेशी मेला, हस्तशिल्पियों को मिलेगा 1500 करोड़ का बाजार
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इन मेलों का मुख्य उद्देश्य चीनी उत्पादों से बाजार को मुक्त करना और 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को बढ़ावा देना है।

यूपी के हर जिले में स्वदेशी मेलों का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किए गए इन मेलों का मुख्य उद्देश्य चीनी उत्पादों से बाजार को मुक्त करना और 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को बढ़ावा देना है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली के त्योहारी बाजार को चीनी उत्पादों से मुक्त करने और स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल की है। इसके तहत 9 से 18 अक्तूबर तक प्रदेश के हर जिले में स्वदेशी मेलों का आयोजन किया जा रहा है। इन मेलों के माध्यम से हस्तशिल्पियों को दिवाली से पहले कम से कम 1500 करोड़ रुपये का बाजार मिलने की उम्मीद है, जो छोटे कारीगरों, महिलाओं और लघु उद्यमियों के लिए एक बड़ा मंच साबित होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर से इन स्वदेशी मेलों का औपचारिक शुभारंभ किया। इन मेलों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना, उद्योगों को बढ़ावा देना और 'वोकल फॉर लोकल' के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाना है। इस महत्वपूर्ण आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

स्वदेशी मेले का लक्ष्य, पहुंच और प्रशासनिक व्यवस्था

स्वदेशी मेलों का आयोजन यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो के अंतर्गत किया जा रहा है। इनका मुख्य लक्ष्य दीपावली के बाजार में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दिलाना है। ये दस दिवसीय मेले शहरों के उन व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण और उपयुक्त स्थानों पर लगाए जा रहे हैं, जहां आम जनता की पहुंच सुगम हो सके और वे सक्रिय रूप से इसमें भाग ले सकें। सरकार इस पहल को जीएसटी बचत उत्सव के रूप में भी मना रही है। प्रशासनिक स्तर पर, प्रत्येक जिले में उपायुक्त उद्योग को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में मेले की व्यवस्थाएँ देखेंगे। इसके साथ ही, आयोजन के दौरान जिले के प्रभारी मंत्री समेत अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति भी अनिवार्य की गई है, ताकि स्थानीय कारीगरों का मनोबल बढ़ाया जा सके।

सरकारी सहयोग और कारीगरों को मिलने वाला मंच

इस मेले में कई सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और उत्पादकों को सरकार द्वारा निशुल्क स्टॉल उपलब्ध कराए गए हैं। इन लाभार्थियों में उद्योग विभाग, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, माटी कला बोर्ड, ओडीओपी (ODOP), स्वयं सहायता समूह (SHGs), विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत वित्त पोषित इकाइयां शामिल हैं। खरीददारी की प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए मेले में वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिए सरकारी खरीद पोर्टल GeM (जेम) का उपयोग अनिवार्य रूप से किया गया है।

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में सजने वाले ये मेले स्थानीय कारीगरों, उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों, हस्तशिल्पियों और ग्रामीण उद्योगों को अपनी बेहतरीन कला और उत्पाद प्रदर्शित करने का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान कर रहे हैं। सरकार का मानना है कि दिवाली से ठीक पहले शुरू हुई यह पहल 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को एक जन आंदोलन का रूप देगी, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों अर्थव्यवस्थाओं को नई दिशा मिलेगी और स्थानीय कारीगरों को बड़ा लाभ प्राप्त होगा।


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