योगी सरकार का बड़ा फैसला: यूपी में रिश्तों पर नहीं लगेगा स्टांप शुल्क, ₹5,000 में बंटेगी पुश्तैनी जमीन

यूपी में रिश्तों पर नहीं लगेगा स्टांप शुल्क, पुश्तैनी जमीन ₹5,000 में बंटेगी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पारिवारिक संपत्ति को लेकर चल रहे लाखों विवादों को खत्म करने के लिए योगी सरकार ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया है। अब परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति बंटवारे का स्टांप शुल्क, जो पहले लाखों रुपये तक वसूला जाता था, अब घटाकर अधिकतम ₹5,000 कर दिया गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से न केवल 2.25 लाख से ज्यादा पारिवारिक विवाद मिनटों में सुलझने की राह पर हैं, बल्कि अदालतों का बोझ कम होगा और आम लोगों की जेब को भी राहत मिलेगी। भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 में संशोधन के साथ शुरू हुई यह पहल, परिवारों के बीच सौहार्द और आर्थिक बचत का नया युग लाएगी, साथ ही सरकार को ₹500 करोड़ तक का अतिरिक्त राजस्व भी दिलाएगी।
क्या है नया नियम?
पहले अगर किसी परिवार में ₹1 करोड़ की संपत्ति का बंटवारा होता था, तो सदस्यों को स्टांप शुल्क के रूप में ₹5 लाख तक चुकाने पड़ते थे। इस भारी-भरकम खर्च की वजह से कई परिवार आपसी बंटवारे के लिए कोर्ट का सहारा लेने को मजबूर हो जाते थे, जिससे मुकदमे सालों तक चलते रहते थे।
कौन-कौन होंगे लाभान्वित?
यह नियम सगे भाई-बहन, माता-पिता, पति-पत्नी, बेटे-बेटियां और पोते-पोतियों पर लागू होगा। इनके बीच दान या वसीयत के जरिए संपत्ति का हस्तांतरण आसानी से किया जा सकेगा। सरकार का मानना है कि इस नए नियम से राज्य में चल रहे करीब 2.25 लाख पारिवारिक संपत्ति विवाद मिनटों में सुलझ जाएंगे। इससे अदालतों का बोझ कम होगा और लोगों के पैसे भी बचेंगे।
एक अनुमान के मुताबिक, इस फैसले से कानूनी सलाह और अन्य खर्चों में लगभग ₹3,800 करोड़ की बचत होगी। इसके अलावा, सरकार को स्टांप राजस्व के रूप में ₹500 करोड़ तक का अतिरिक्त लाभ भी मिल सकेगा, जो पहले नहीं मिलता था। इस फैसले को लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 में संशोधन किया है।
कानूनी संशोधन
इस फैसले को लागू करने के लिए यूपी सरकार ने भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 में संशोधन किया है। अब पारिवारिक संपत्ति बंटवारे का रास्ता पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।
सोर्स: हरिभूमि लखनऊ ब्यूरो
