योगी सरकार का आदेश: बच्चों के कफ सिरप अब सिर्फ़ डॉक्टर के पर्चे पर मिलेंगे, FSDA ने जारी किए सख़्त दिशा-निर्देश

उत्तर प्रदेश में अब बच्चों के कफ सिरप की बिक्री केवल डॉक्टर के वैध प्रिस्क्रिप्शन पर ही हो सकेगी।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब बच्चों के कफ सिरप केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेचे जाएंगे। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने यह महत्वपूर्ण कदम राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद उठाया है।
FSDA आयुक्त रोशन जैकब ने सभी औषधि निरीक्षकों को तत्काल प्रभाव से दवा दुकानों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों में दवा विक्रेताओं को सूचित करने के साथ-साथ आम जनता को भी जागरूक करने पर ज़ोर दिया गया है कि वे केवल वैध दुकानों से ही दवाएं खरीदें, बिक्री रसीद लें, और दवा का बैच नंबर तथा एक्सपायरी डेट अनिवार्य रूप से जाँच लें। यह कदम बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दवा निर्माण व बिक्री में मिलावट को रोकने के लिए उठाया गया है।
FSDA का सख़्त रुख: निगरानी और जागरूकता बढ़ाने के निर्देश
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने बच्चों के कफ सिरप की बिक्री को लेकर अपनी सख्ती बढ़ा दी है। FSDA आयुक्त रोशन जैकब ने रविवार को जारी दिशा-निर्देशों में साफ़ कहा है कि अब बच्चों के कफ सिरप बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं बेचे जा सकते। इसका मुख्य उद्देश्य नकली और मिलावटी दवाओं की बिक्री को रोकना है, जिससे हाल ही में कुछ राज्यों में बच्चों की मौतें हुई थीं।
दवा निरीक्षकों के लिए मुख्य निर्देश
सभी दवा दुकानदारों को नए नियमों की जानकारी देना कि बच्चों के कफ सिरप केवल पर्चे पर ही बेचें। दवा दुकानों और अस्पतालों में भी दवाओं की गुणवत्ता और स्टॉक की नियमित जाँच करना। दवा निर्माता फ़र्मों का समय-समय पर निरीक्षण करना और उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले तत्वों के नमूने लेकर जाँच करना। खास तौर पर कफ सिरप में डाइथियाल ग्लाइकाल (Diethylene Glycol) नामक ज़हरीले तत्व की मिलावट की गहन जाँच करना ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
इसके साथ ही, लोगों को जागरूक करने पर भी ज़ोर दिया गया है कि वे दवाएं खरीदते समय सावधानी बरतें। उन्हें वैध मेडिकल स्टोर से ही दवाएं खरीदने, बिक्री की रसीद लेने, और बैच नंबर व एक्सपायरी डेट की जाँच करने की सलाह दी जा रही है। इसका प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया के माध्यम से करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मिलावट और फ़र्ज़ीवाड़ा पर होगी कड़ी कार्रवाई
FSDA ने स्पष्ट कर दिया है कि दवा निर्माण और बिक्री में किसी भी तरह की अनियमितता या धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मिलावटखोरों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ सख़्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश विशेष रूप से उन लोगों को ध्यान में रखकर जारी किए गए हैं जो स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं।
कार्रवाई के दिशा-निर्देश
यदि दवाओं में कोई मिलावट पाई जाती है, तो दोषी व्यक्तियों के खिलाफ़ त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाएगी। दवाओं में मिलावट, उनका फ़र्ज़ी नाम या पते पर निर्माण या बिक्री करने वालों के खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई जाएगी। FSDA यह भी सुनिश्चित करेगा कि दवा निर्माता यह तत्व कहाँ से खरीद रहे हैं और क्या वे मानक के अनुसार हैं या नहीं, इसकी भी गहन जाँच की जाए। ये दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि बाज़ार में केवल उच्च गुणवत्ता वाली और सुरक्षित दवाएं ही उपलब्ध हों।
पुरानी दवाओं के इस्तेमाल पर भी चेतावनी
FSDA ने न केवल दवा की दुकानों पर बिकने वाली दवाओं, बल्कि आम लोगों के घरों में रखी पुरानी दवाओं के सुरक्षित इस्तेमाल के संबंध में भी जागरूकता फैलाने के निर्देश दिए हैं। अक्सर लोग घर में रखी खांसी या बुखार की पुरानी दवाएं बिना जाँच किए इस्तेमाल कर लेते हैं, जो ख़तरनाक हो सकता है।
आम जनता के लिए सलाह
लोगों को यह जानकारी दी जाएगी कि वे घर में रखी खांसी-बुखार की पुरानी दवाओं को उनकी एक्सपायरी डेट देखकर ही इस्तेमाल करें, बीमारी की स्थिति में हमेशा डॉक्टर की सलाह लें और उनके पर्चे पर लिखी दवा ही खरीदें।
