बिहार चुनाव 2025: योगी आदित्यनाथ करेंगे दो दर्जन चुनावी रैलियां, चढ़ाएंगे सीमांचल का सियासी पारा, पिछड़ों को साधेंगे केशव मौर्या

CM Yogi Adityanath Bihar election campening
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6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले, योगी आदित्यनाथ की रैलियां एनडीए के चुनावी माहौल को पक्ष में करने का प्रमुख हथियार बन सकती है।

महाकुंभ की सफलता के बाद धार्मिक टूरिज्म में बिहार से आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या ने उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ाई है, जिसे पार्टी भुनाने की कोशिश में है।पार्टी उनकी दो दर्जन से अधिक जनसभाओं का कार्यक्रम तैयार कर रही है।

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होते ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश का असर भी दिखना शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी बिहार चुनाव प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सीएम योगी की बिहार में दो दर्जन से अधिक जनसभाओं का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है।

माना जा रहा है कि खासकर सीमांचल इलाके में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश की जाएगी, जहां उनकी मांग पहले से ही अधिक रही है। महाकुंभ की सफलता और धार्मिक टूरिज्म में बिहार से आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या के कारण उनकी एक मजबूत धार्मिक छवि और फैन फॉलोइंग बनी है।

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है, जिसके नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

बिहार चुनाव में यूपी के सीएम की एंट्री

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, बीजेपी ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को प्रचार के लिए उतारने का फैसला किया है। सूत्रों की मानें तो योगी जी बिहार में दो दर्जन से ज्यादा चुनावी रैलियां कर सकते हैं। बीजेपी मानती है कि उनकी जोरदार रैलियां पार्टी को एक नई ऊर्जा प्रदान करेंगी और चुनावी माहौल को अपने पक्ष में मोड़ने में सहायक होंगी।

सीमांचल में योगी की बढ़ती लोकप्रियता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता खासकर सीमांचल क्षेत्र में भाजपा के लिए एक बड़ा चुनावी सहारा बन सकती है। इस क्षेत्र में उनकी डिमांड पहले से ही काफी अधिक रही है। बीजेपी का आकलन है कि योगी की फायरब्रांड छवि और उनकी जनसभाएं इस इलाके में पार्टी को निर्णायक बढ़त दिला सकती हैं, जिसका सीधा फायदा चुनाव नतीजों में देखने को मिल सकता है।

'धार्मिक छवि' को भुनाने की BJP की कोशिश

इस साल की शुरुआत में हुए महाकुंभ की शानदार सफलता और उसमें बिहार से आए श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ संख्या ने योगी आदित्यनाथ की एक मजबूत धार्मिक छवि बनाई है। यूपी में धार्मिक पर्यटन के लिए बिहार से आने वाले लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए, बीजेपी उनकी इस 'फैन फॉलोइंग' को वोटों में बदलने की कोशिश करेगी। उनकी सभाओं को धार्मिक और चुनावी, दोनों नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

दो चरणों में होगा बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में कराए जा रहे हैं। 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी। चुनावी नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में बीजेपी मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (JDU) के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है। बीजेपी की पूरी रणनीति गठबंधन के भीतर और बाहर की चुनौतियों से पार पाने पर टिकी है।

उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सह-प्रभारी नियुक्त किया है।

​केशव प्रसाद मौर्य की नियुक्ति के पीछे मुख्य कारण उनकी ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) समुदाय में मजबूत पकड़ है। वह स्वयं कुशवाहा/कोईरी समुदाय से आते हैं, जिसकी बिहार में एक बड़ी आबादी है। बीजेपी का लक्ष्य उनकी संगठनात्मक क्षमता और इस समुदाय पर उनके प्रभाव का उपयोग करके गैर-यादव ओबीसी वोटों को एकजुट करना है। उनका अनुभव बिहार चुनाव में बीजेपी की यूपी ब्रिगेड की रणनीति को ज़मीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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