ज़हरीला कफ सिरप: कोल्ड्रिफ में 48% डाइथिलीन ग्लाइकाल मिलने के बाद UP में हड़कंप! बिक्री पर तत्काल रोक, गहन जांच के आदेश

Coldriff sirf ban in UP government ordered
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तमिलनाडु की स्रेसन फार्मास्युटिकल के इस सिरप में किडनी और तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुँचाने वाला हानिकारक रसायन डाइथिलीन ग्लाइकाल पाया गया है।

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग और एफएसडीए ने जानलेवा कोल्ड्रिफ कफ सिरप को लेकर त्वरित कार्रवाई की है। लखनऊ में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है, और सप्लाई चेन को तुरंत रोकने का आदेश दिया गया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक जानलेवा कफ सिरप, कोल्ड्रिफ़ के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने बड़ा कदम उठाया है। तमिलनाडु की स्रेसन फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित इस सिरप के एक विशेष बैच में हानिकारक रसायन डाइथिलीन ग्लाइकाल (Diethylene Glycol) की मिलावट पाई गई है। यह रसायन किडनी और तंत्रिका तंत्र के लिए बेहद खतरनाक है और मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

एफएसडीए के मुताबिक, कोल्ड्रिफ सिरप के बैच नंबर एसआर-13 (एम/डी मई/2025, ई/डी अप्रैल/2027) में यह मिलावट पाई गई है। यह सिरप राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी बच्चों के लिए घातक साबित हुआ है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में सतर्कता बढ़ा दी गई है।

लखनऊ में इस सिरप की बिक्री पर रोक लगाने के साथ ही, एफएसडीए ने व्यापक जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने इस बैच के सिरप के वितरण, बिक्री और भंडारण की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन और सभी दवा विक्रेता संगठनों को एक पत्र लिखा है।




प्रमुख निर्देश और जांच का आदेश

महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य, डॉ. रतन पाल सिंह सुमन, ने सभी अस्पतालों के लिए एक सख्त गाइडलाइन जारी की है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों को खांसी-जुखाम के लिए कोई भी कफ सिरप न दिया जाए। पाँच वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी दवाएँ अत्यंत सावधानी से, पूरी निगरानी में और न्यूनतम खुराक में ही देने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम डाइथिलीन ग्लाइकाल जैसे खतरनाक तत्वों के संभावित खतरे को देखते हुए उठाया गया है। प्रदेश की सभी इकाइयों में कफ सिरप की गुणवत्ता जांच एफएसडीए ने केवल कोल्ड्रिफ सिरप पर ही कार्रवाई नहीं की है, बल्कि राज्य में बन रहे सभी कफ सिरप पर भी निगरानी बढ़ा दी है। प्रदेश की दवा निर्माण इकाइयों में तैयार हो रहे कफ सिरप और उसमें उपयोग किए जा रहे प्रोपाइलिन ग्लाइकाल के नमूने लेकर उनकी भी गहन जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रोपाइलिन ग्लाइकाल एक सामान्य विलायक है, लेकिन इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि डाइथिलीन ग्लाइकाल जैसी खतरनाक मिलावट को रोका जा सके। यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में बनने वाली कोई भी दवा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हो।

जानलेवा है डाइथिलीन ग्लाइकाल

कोल्ड्रिफ सिरप में पाया गया डाइथिलीन ग्लाइकाल कोई मामूली अशुद्धि नहीं है; यह (Industrial Solvent) है जिसका उपयोग एंटी-फ्रीज और ब्रेक फ्लूइड जैसे उत्पादों में किया जाता है। एक कफ सिरप में इसकी उपस्थिति एक गंभीर आपराधिक लापरवाही या घटिया निर्माण प्रक्रिया की ओर इशारा करती है।

​प्रोपाइलिन ग्लाइकाल: लागत घटाने की खतरनाक चाल

​DEG की मिलावट आमतौर पर तब होती है जब दवा निर्माता अपने उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले एक सुरक्षित विलायक प्रोपाइलिन ग्लाइकाल (Propylene Glycol) के सस्ते और निम्न-गुणवत्ता वाले विकल्प का उपयोग करते हैं।

प्रोपाइलिन ग्लाइकाल (PG) को कफ सिरप को मीठा और गाढ़ा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन कई बार, आपूर्तिकर्ता लाभ कमाने के ये करतें हैं।

मानक के अनुसार, PG में DEG की मात्रा 0.1% से कम होनी चाहिए। तमिलनाडु लैब की जांच में कोल्ड्रिफ सिरप में यह मात्रा 48.6% पाई गई, जो इसे सीधे तौर पर बच्चों के लिए 'जहर' बना देती है। शरीर में पहुँचने पर, DEG का मेटाबोलाइज़ेशन होता है और यह ऑक्सैलिक एसिड बनाता है, जो किडनी की नलिकाओं को पूरी तरह ब्लॉक कर देता है, जिससे तत्काल गुर्दे फेल हो जाते हैं।

​मैन्युफैक्चरिंग कंपनी पर कठोर नियामक कार्रवाई

​बच्चों की मौतों की पुष्टि के बाद, न केवल कफ सिरप को बैन किया गया है, बल्कि निर्माण कंपनी स्रेसन फार्मास्युटिकल पर भी सख्त नियामक गाज गिरी है। ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने कांचीपुरम स्थित स्रेसन फार्मास्युटिकल के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में उत्पादन को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है और पूरी यूनिट को सील कर दिया गया है। मध्य प्रदेश और तमिलनाडु दोनों राज्यों में कंपनी के संचालकों और सम्बंधित व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। यह कार्रवाई ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की गंभीर धाराओं के तहत की गई है।

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