यूपी में 'घरौनी' बना आधिकारिक दस्तावेज: ग्रामीणों के लिए अब बैंक लोन और प्रॉपर्टी रिकॉर्ड में सुधार हुआ आसान

ग्रामीणों के लिए अब बैंक लोन और प्रॉपर्टी रिकॉर्ड में सुधार हुआ आसान
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यदि किसी ग्रामीण को एआरओ के फैसले से असंतोष है, तो वह जिला रिकॉर्ड ऑफिसर के पास अपील कर सकता है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'घरौनी कानून' पारित कर ग्रामीण आबादी की जमीन को कानूनी मान्यता दे दी है। अब ग्रामीणों को उनके घर का मालिकाना हक आधिकारिक दस्तावेज के रूप में मिलेगा, जिससे वे बैंक से लोन ले सकेंगे।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ग्रामीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विधानसभा में 'घरौनी कानून' पास कर दिया है। इस नए कानून के जरिए अब गांवों की आबादी वाली जमीन पर बने घरों को कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान की गई है।

अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में घर के मालिकाना हक का कोई ठोस कानूनी दस्तावेज न होने के कारण ग्रामीणों को बैंक से लोन लेने या संपत्ति के हस्तांतरण में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

इस विधेयक के पारित होने से अब घरौनी को वही दर्जा प्राप्त होगा जो खेती की जमीन के लिए 'खतौनी' को मिलता है।

बैंक लोन और आर्थिक विकास के नए रास्ते

इस कानून के लागू होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब ग्रामीण अपनी आबादी की जमीन और मकान के आधार पर बैंकों से आसानी से लोन ले सकेंगे।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने सदन में जानकारी दी कि अब तक कानूनी दस्तावेज के अभाव में बैंक गांवों के घरों पर ऋण देने से कतराते थे।

अब घरौनी को आधिकारिक और मान्य दस्तावेज माना जाएगा, जिससे ग्रामीण अपने मकान पर लोन लेकर व्यवसाय शुरू कर सकेंगे या घर का विस्तार कर सकेंगे। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी।

नामांतरण और रिकॉर्ड सुधार की सरल प्रक्रिया

नए विधेयक में घरौनी के रिकॉर्ड को अपडेट करने और उसमें सुधार करने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। अब वरासत, विक्रय या किसी अन्य कारण से घरौनी में नाम बदलने की प्रक्रिया बेहद सरल हो जाएगी।

यदि घरौनी में मोबाइल नंबर, पता या किसी अन्य विवरण में कोई त्रुटि है, तो उसे भी अपडेट करने की अनुमति दी गई है। खास बात यह है कि अब ग्रामीण अपनी संपत्ति के कागजात में सुधार के लिए एआरओ के पास आपत्ति दर्ज करा सकेंगे, जिसकी सुनवाई और निस्तारण की समय सीमा तय होगी।

ड्रोन सर्वे और डिजिटल पारदर्शिता

उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र की 'स्वामित्व योजना' के तहत अब तक प्रदेश के 1.10 लाख से अधिक गांवों को अधिसूचित किया है। इनमें से लगभग 90,573 गांवों में ड्रोन के जरिए सर्वे का काम पूरा किया जा चुका है।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, 9 मई 2025 तक 1 करोड़ 6 लाख से अधिक घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं, जिनमें से 1 करोड़ 1 लाख से अधिक का वितरण भी किया जा चुका है। ड्रोन तकनीक से तैयार इन जीआईएस नक्शों के कारण अब भूमि के सीमा विवाद लगभग खत्म हो जाएंगे और ग्राम पंचायतों की विकास योजनाओं को पारदर्शी तरीके से बनाया जा सकेगा।

भूमि विवादों में कमी और कानूनी सुरक्षा

इस कानून के आने से भू-माफियाओं और अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी। चूँकि अब हर घर का डिजिटल रिकॉर्ड और भौतिक पैमाइश सरकारी फाइलों में दर्ज होगी, इसलिए संपत्ति को लेकर होने वाले आपसी झगड़ों और अदालती मुकदमों में भारी कमी आने की उम्मीद है।

यदि किसी ग्रामीण को एआरओ के फैसले से असंतोष है, तो वह जिला रिकॉर्ड ऑफिसर के पास अपील कर सकता है। यह व्यवस्था ग्रामीणों को एक मजबूत कानूनी सुरक्षा चक्र प्रदान करती है, जिससे वे अपनी पुश्तैनी जमीन के बेखौफ मालिक बन सकेंगे।

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