बांके बिहारी मंदिर खजाना विवाद: करोड़ों की संपत्ति गायब होने पर PM से सीबीआई जांच की मांग, संतों ने दी अनशन की चेतावनी

फलाहारी महाराज ने प्रधानमंत्री से पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराये जाने की मांग की।
मथुरा : वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर का वर्षों पुराना तोषखाना हाल ही में खोले जाने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर समिति द्वारा 18 अक्टूबर को, लगभग 54 साल के लंबे अंतराल के बाद, इस तहखाने को खोला गया। दशकों से यह दावा किया जाता रहा था कि इस तोषखाने में भक्तों, राजा-महाराजाओं और दानदाताओं द्वारा अर्पित किए गए विशाल मात्रा में सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात से जड़े आभूषण और संपत्ति के कागजात सुरक्षित रखे गए हैं।
हालांकि, जब तोषखाने को खोला गया तो अंदर का दृश्य चौंकाने वाला था। अंदर केवल कुछ पुराने बर्तन, सोने की एक अकेली छड़, चांदी की तीन छड़ें, कुछ मोती और दो तांबे के पुराने सिक्के ही मिले। करोड़ों रुपए के मूल्य के कथित खजाने का कोई बड़ा हिस्सा या सुराग नहीं मिला, जिससे ब्रज के संतों और करोड़ों भक्तों का गुस्सा भड़क उठा है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष समिति ने पीएम को लिखा पत्र
इस गंभीर अनियमितता के सामने आने के बाद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने इसे एक बड़ी साजिश बताते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर मंदिर के कुछ व्यवस्थापकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पत्र में कहा गया है कि खजाने के तालों पर सरकारी सील नहीं लगी हुई थी, जिसका फायदा उठाकर इन व्यवस्थापकों ने श्रद्धालुओं द्वारा दान की गई करोड़ों की संपत्ति की चोरी कर ली। फलाहारी महाराज ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराई जाए। उनका मानना है कि यह मामला करोड़ों भक्तों की आस्था और सनातन धर्म की धरोहर से जुड़ा है, इसलिए दोषियों को तुरंत पकड़ा जाना चाहिए।
दोषी अधिकारियों की संपत्ति की जांच की मांग
संघर्ष न्यास ने केवल सीबीआई जांच तक ही अपनी मांग सीमित नहीं रखी है, बल्कि उन्होंने इस आपराधिक लापरवाही में शामिल दोषी अधिकारियों और व्यवस्थापकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिन भी अधिकारियों और व्यक्तियों पर इस लूट में शामिल होने का संदेह है, उनकी व्यक्तिगत संपत्ति की तुरंत जांच की जाए, ताकि चुराई गई संपत्ति को बरामद किया जा सके। महाराज ने जोर देकर कहा है कि मंदिर की संपत्ति किसी व्यक्ति की निजी चीज़ नहीं है, बल्कि यह करोड़ों लोगों की भक्ति और विश्वास का प्रतीक है, और इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है।
उन्होंने यह भी बताया कि 19 अक्टूबर को इसी मांग का पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजा गया था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
संत समाज ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
इस घटना पर विरोध जताने के लिए वृंदावन के उड़िया बाबा मंदिर में एक बड़ा संत सम्मेलन आयोजित किया गया। इस बैठक में साध्वी इंदुलेखा, अनिल कृष्ण शास्त्री, राजेश पाठक, और महामंडलेश्वर रामदास महाराज सहित कई प्रमुख संतों ने भाग लिया और एकजुटता दिखाते हुए सीबीआई जांच की मांग को पुरजोर तरीके से दोहराया। साध्वी इंदुलेखा ने इसे सनातन धर्म की धरोहर पर हमला बताया और कहा कि इसे लूटने वालों को सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए।
संत समाज ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार ने जल्द ही इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और सीबीआई जांच शुरू नहीं कराई, तो वे आमरण अनशन पर बैठने के लिए मजबूर होंगे। उनका स्पष्ट कहना है कि मंदिर प्रबंधन की लापरवाही के कारण लाखों-करोड़ों का चढ़ावा गायब हो गया है, और वर्षों से उठ रहे सवालों के जवाब मिलना अब अनिवार्य है।
