सहारनपुर: तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री आमिर मुत्ताकी की देवबंद यात्रा! तालिबान की नजर में क्यों खास है भारत का दारुल उलूम?

Afghanistan foreign minister in up
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मुत्ताकी ने दिल्ली में स्पष्ट किया था कि देवबंद एक बड़ा इस्लामी और शैक्षणिक केंद्र है।

मुत्ताकी का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता भेजनी जारी रखी है, लेकिन तालिबान सरकार को अभी तक औपचारिक मान्यता नहीं दी है। ऐसे में, यह दौरा दोनों पक्षों के बीच अनौपचारिक संवाद और भविष्य के संबंधों की दिशा तय करने में अहम हो सकता है।

सहारनपुर : अफगानिस्तान में तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी अपने भारत दौरे के तहत आज 11 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के देवबंद पहुंचेंगे। सुरक्षा एजेंसियां इस उच्च स्तरीय दौरे को लेकर पूरी तरह से सतर्क हैं और लगातार उच्च स्तरीय बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

आमिर मुत्ताकी का यह भारत में पहला दौरा है और इसे दोनों देशों के बीच संबंधों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह अपराह्न करीब 12 बजे देवबंद पहुंचने वाले हैं। उनका मुख्य कार्यक्रम दारुल उलूम परिसर में होगा, जहां वह मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी और जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात करेंगे। संस्था परिसर में बनी विशालकाय गोलाकार लाइब्रेरी में उनके स्वागत का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। दारुल उलूम प्रशासन ने परिसर में साफ-सफाई और सजावट का काम तेज कर दिया है। मुत्ताकी ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देवबंद जाने का कारण बताते हुए कहा कि देवबंद एक बड़ा इस्लामी और तालीमी मरकज़ है और अफगानिस्तान तथा देवबंद दीनी रूप से जुड़े हुए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस और खुफिया विभाग हाई अलर्ट पर हैं।

सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी

अफगानिस्तान के तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का देवबंद दौरा राजनीतिक और सुरक्षा दोनों ही दृष्टियों से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में अपने पहले दौरे के तहत आज 11 अक्तूबर को देवबंद आगमन के मद्देनजर दारुल उलूम प्रबंधन और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, आमिर मुत्ताकी दोपहर लगभग 12 बजे देवबंद पहुंचेंगे। उनके आगमन को लेकर दिल्ली स्थित अफगान दूतावास के अधिकारी शुक्रवार को ही देवबंद पहुंच गए थे और उन्होंने संस्था के जिम्मेदारों से मुलाकात कर सुरक्षा एवं अन्य व्यवस्थाओं का गहनता से जायजा लिया। इस उच्चस्तरीय दौरे के चलते देवबंद और उसके आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा एजेंसियों, विशेषकर पुलिस और खुफिया विभाग की गतिविधियां कई गुना बढ़ गई हैं।

दारुल उलूम में स्वागत की विशेष तैयारी

देवबंद स्थित प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम में मुत्ताकी के स्वागत का कार्यक्रम बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने इस संबंध में पुष्टि करते हुए कहा कि "दारुल उलूम के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। अफगान विदेश मंत्री आ रहे हैं, उनका इस्तकबाल किया जाएगा। मुत्ताकी दारुल उलूम में मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी के साथ ही जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी से भी मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात भारत और तालिबान शासित अफगानिस्तान के बीच अनौपचारिक संवाद को आगे बढ़ाने की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उनके स्वागत का मुख्य आयोजन संस्था परिसर में स्थित विशालकाय गोलाकार लाइब्रेरी में किया जाएगा। दारुल उलूम प्रशासन ने परिसर में सफाई और सजावट का कार्य शुरू कर दिया है, ताकि अफगान विदेश मंत्री का गरिमापूर्ण स्वागत किया जा सके।

देवबंद दौरा: संबंधों को मजबूत करने की पहल

दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब आमिर खान मुत्ताकी से उनके देवबंद दौरे का कारण पूछा गया, तो उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुत्ताकी ने कहा कि "देवबंद एक बड़ा इस्लामी मरकज़ है। यह एक तालीमी मरकज़ है। अफगानिस्तान और देवबंद दीनी रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने आगे जोर दिया कि वह इन पुराने और गहरे संबंधों को और अधिक बढ़ाना चाहते हैं।

मुत्ताकी का यह बयान देवबंद की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को रेखांकित करता है। दारुल उलूम की स्थापना 1866 में हुई थी और इसने भारतीय उपमहाद्वीप तथा अफगानिस्तान सहित कई इस्लामी देशों में धार्मिक शिक्षा और आंदोलन को प्रभावित किया है। मुत्ताकी का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता भेजनी जारी रखी है, लेकिन तालिबान सरकार को अभी तक औपचारिक मान्यता नहीं दी है।

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