स्वामी का सनातन पर प्रहार: लक्ष्मी पूजा पर विवादित बयान बोले- पूजा से धन आता तो भारत गरीब न होता!

महंत राजू दास ने हिंदू समाज से ऐसे नेताओं के बहिष्कार का आह्वान भी किया
लखनऊ : अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने दीपावली पर्व पर देवी लक्ष्मी की पूजा को लेकर एक बार फिर विवादास्पद बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने अपने बयान में यह प्रश्न उठाया है कि यदि धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने मात्र से ही कोई व्यक्ति धनी बन जाता, तो 80 करोड़ भारतीयों को आज सरकारी सब्सिडी वाले अनाज पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और भारत दुनिया के गरीब देशों में शामिल नहीं होता। मौर्य ने पूजा को 'परंपरा' मानते हुए भी उसे 'व्यावहारिकता से कोसों दूर' बताया।
उन्होंने कहा कि देश में व्याप्त गरीबी और करोड़ों युवाओं की बेरोजगारी यह साबित करती है कि केवल धार्मिक अनुष्ठानों से आर्थिक संकट दूर नहीं होता है। अपने इस बयान के साथ, उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे काल्पनिक देवी की पूजा करने के बजाय अपने घर की महिलाओं 'गृह लक्ष्मी' का सम्मान करें, क्योंकि वही सही मायने में परिवार की सुख-समृद्धि और देखभाल का आधार होती हैं।
मौर्य के बयान पर छिड़ी बहस और तार्किक आधार
स्वामी प्रसाद मौर्य, जो अपनी 'तार्किक' टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, ने इस बार भी हिंदू देवी-देवताओं पर सवाल उठाकर बहस को हवा दी है। उन्होंने तर्क दिया है कि अगर लक्ष्मी पूजा वास्तव में धन का मार्ग खोलती, तो आज देश में इतनी बड़ी संख्या में लोग गरीबी और लाचारी का जीवन नहीं जी रहे होते। उन्होंने बेरोजगारी और शिक्षा के अवसरों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग 5-10 किलो चावल पर जीवित हैं, वे अपने बच्चों को विश्वविद्यालय में डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बना सकते।
मौर्य ने इसे केवल एक 'अपील' बताया और कहा कि उनका उद्देश्य किसी पूजा का विरोध करना नहीं, बल्कि लोगों को व्यावहारिकता की ओर प्रेरित करना है। उन्होंने एक बार फिर अपनी पत्नी की पूजा करते हुए तस्वीरें साझा की, यह दर्शाते हुए कि वास्तविक देवी तो घर की गृहणी ही है।
धार्मिक और राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया
मौर्य के इस बयान पर सनातन धर्म के अनुयायियों और कई राजनीतिक दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने इस टिप्पणी को धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला और सनातन आस्था पर हमला करार दिया है। उनका कहना है कि मौर्य जानबूझकर धार्मिक प्रतीकों को निशाना बना रहे हैं। पूर्व में जब वह समाजवादी पार्टी में थे, तब भी ऐसे बयानों पर पार्टी को उनसे दूरी बनानी पड़ी थी। मौर्य के आलोचकों का मानना है कि यह बयान केवल राजनीतिक ध्यान आकर्षित करने और समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने की कोशिश है, जबकि मौर्य स्वयं को वंचित और शोषित समाज के मुद्दों को उठाने वाला नेता बताते हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को महंत राजू दास ने बताया 'पागलपन'
स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दीपावली के अवसर पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान ने संत समाज में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने इस टिप्पणी को सीधे तौर पर सनातन धर्म और हिंदू आस्था का अपमान बताते हुए मौर्य पर तीखा पलटवार किया है।
उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को मानसिक रूप से विक्षिप्त करार देते हुए कहा कि जो व्यक्ति बार-बार हिंदू देवी-देवताओं और धार्मिक अनुष्ठानों पर अनर्गल टिप्पणी करता है, वह राजनीतिक लाभ के लिए सामाजिक वैमनस्य फैलाने का काम कर रहा है। राजू दास ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए जो समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं और धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं। उन्होंने हिंदू समाज से ऐसे नेताओं के बहिष्कार का आह्वान भी किया।
पिछली बार का 'चार हाथ' वाला विवाद
यह पहली बार नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने देवी लक्ष्मी को लेकर विवादित टिप्पणी की हो। इससे पहले, उन्होंने सवाल उठाया था कि जब दुनिया में किसी बच्चे के चार, आठ या हजार हाथ नहीं होते, तो 'चार हाथ वाली लक्ष्मी' कैसे पैदा हो सकती हैं। उन्होंने कहा था कि यह केवल कल्पना का विषय है।
रामचरितमानस और हिंदू विवाह पद्धति पर भी उनके पुराने विवादित बयान रहे हैं, जिसने उन्हें हमेशा सुर्खियों में रखा है। इस बार भी, उन्होंने धार्मिक प्रतीकों को काल्पनिक बताते हुए कहा कि भगवान या देवी-देवता अपने समय के साधारण व्यक्ति थे, जिन्हें बाद में काल्पनिक रूप में प्रस्तुत किया गया। उनके लगातार विवादास्पद समाज के एक बड़े वर्ग के बीच विरोध का कारण बने हुए हैं।
