'इलाज के साथ अपनापन': उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मानवीय बनाने की तैयारी, व्यवहार सुधारने के लिए मास्टर प्लान तैयार

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मानवीय बनाने की तैयारी, व्यवहार सुधारने के लिए मास्टर प्लान तैयार
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इस अभियान को धरातल पर उतारने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 'कास्केड मॉडल' को आधार बनाया है।

उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को 'सॉफ्ट स्किल्स' और सभ्य व्यवहार का प्रशिक्षण दे रही है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सरकारी अस्पतालों की छवि बदलने और डॉक्टरों व कर्मचारियों के व्यवहार को अधिक संवेदनशील बनाने के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है।

अक्सर सरकारी अस्पतालों से मरीजों के साथ होने वाली तकरार और दुर्व्यवहार की खबरों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने यह फैसला लिया है।

इसके तहत अब मास्टर ट्रेनर प्रदेश भर के स्वास्थ्य कर्मियों को यह सिखाएंगे कि तनावपूर्ण स्थितियों में भी मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ शांतिपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार कैसे किया जाए।

मास्टर ट्रेनर्स की फौज और पिरामिड मॉडल का क्रियान्वयन

इस अभियान को धरातल पर उतारने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 'कास्केड मॉडल' को आधार बनाया है। प्रथम चरण के अंतर्गत विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों, फार्मासिस्टों और नर्सिंग संवर्ग के अनुभवी अधिकारियों को 'मास्टर ट्रेनर' के रूप में तैयार किया गया है।

इन मास्टर ट्रेनर्स की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने आवंटित जिलों और स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर जमीनी स्तर के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें। प्रशिक्षण का यह दायरा केवल डॉक्टरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वार्ड बॉय, रिसेप्शनिस्ट और सुरक्षा गार्डों को भी शामिल किया गया है, क्योंकि किसी भी अस्पताल में मरीज का सबसे पहला और लगातार संपर्क इन्हीं कर्मचारियों से होता है।

सॉफ्ट स्किल्स, संवाद कला और प्रभावी तनाव प्रबंधन

प्रशिक्षण का मुख्य केंद्र बिंदु स्वास्थ्य कर्मियों के भीतर 'सॉफ्ट स्किल्स' विकसित करना है ताकि वे विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य न खोएं। इसके तहत कर्मियों को सिखाया जा रहा है कि वे मरीजों और उनके परिजनों की बातों को पूरी संवेदनशीलता के साथ सुनें और उन्हें सरल व स्पष्ट भाषा में बीमारी की जानकारी दें।

अक्सर देखा जाता है कि भारी कार्यभार और मरीजों की अत्यधिक संख्या के कारण स्वास्थ्य कर्मी मानसिक दबाव में आ जाते हैं, जिससे उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है।

यह ट्रेनिंग उन्हें मानसिक मजबूती और स्ट्रेस मैनेजमेंट के गुर सिखाएगी, जिससे वे आपातकालीन स्थितियों में घबराए हुए तीमारदारों को उचित ढांढस बंधा सकें और अस्पताल के वातावरण को तनावमुक्त रख सकें।

जीवन रक्षक कौशल और मॉनिटरिंग के लिए फीडबैक सिस्टम

इस पहल के अंतर्गत अच्छे व्यवहार के साथ-साथ तकनीकी कौशल को भी मजबूती दी जा रही है। प्रशिक्षण सत्रों में सभी श्रेणी के कर्मचारियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट और CPR जैसी जीवन रक्षक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है, ताकि हृदय गति रुकने जैसी स्थितियों में डॉक्टर के आने से पहले प्राथमिक सहायता दी जा सके।

कार्यक्रम की पारदर्शिता और सफलता सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक 'फीडबैक सिस्टम' भी विकसित कर रही है। इसके माध्यम से मरीजों से सीधे संवाद कर यह जाना जाएगा कि अस्पताल के स्टाफ के व्यवहार में पहले की तुलना में कितना सुधार आया है। प्रशिक्षण के बाद कर्मियों के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा की जाएगी ताकि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जनता का विश्वास बढ़ाया जा सके।


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