'सपने बड़े रखो, अंतरिक्ष की सीमा नहीं': शुभांशु शुक्ला ने छात्रों को दिया संदेश; बताया-स्पेस में क्या खाते हैं कैसे रहते हैं?

सपने बड़े रखो, अंतरिक्ष की सीमा नहीं: शुभांशु शुक्ला का संदेश; छात्रों ने पूछा-स्पेस में खाते हैं कैसे रहते हैं?
Sudhanshu Shukla: भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार (3 जुलाई, 2025) को उत्तर प्रदेश और केरल के छात्रों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने अंतरिक्ष जीवन के अनसुने पहलुओं को साझा किया। कहा, मैं यहां एक मिशन पर हूं, लेकिन आप सबका सपना और जिज्ञासा ही असली मिशन है। भारत के बच्चे ही अंतरिक्ष की अगली पीढ़ी हैं।
भारतीय छात्रों के लिए यह संवाद न केवल विज्ञान से जोड़ने वाला, बल्कि उन्हें गर्व, प्रेरणा और दिशा देने वाला अनुभव है। शुभांशु शुक्ला का यह ऐतिहासिक कदम भारत को अंतरिक्ष विज्ञान की नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।
अंतरिक्ष में कैसे सोते हैं?
- शुभांशु ने छात्रों को बताया कि यहां कोई फर्श या छत नहीं होती। हम दीवार या छत से खुद को बांधकर सोते हैं, वरना तैरते हुए कहीं और चले जाएंगे।
- शुभांशु ने बताया कि माइक्रोग्रैविटी के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए हर दिन एक्सरसाइज और योग ज़रूरी होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए परिवार और दोस्तों से बातचीत, धरती को निहारना, और मेडिटेशन बेहद मददगार होते हैं।
अंतरिक्ष में क्या खाते हैं?
शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष यात्री पैकेज्ड मील खाते हैं, और वे अपना पसंदीदा खाना साथ लाते हैं। उन्होंने बताया कि वे गाजर का हलवा, मूंग दाल हलवा और आम रस लेकर आए हैं। मेडिकल जरूरतों के लिए पूर्ण मेडिकल किट साथ है।
छात्रों ने कहा: ये भविष्य की झलक
लखनऊ के छात्रों ने बताया कि शुभांशु सर से बातचीत करना उनके लिए जीवन भर की प्रेरणा है। एक छात्र ने कहा, जब उन्होंने बॉल को तैरते हुए घुमाया, लगा जैसे कोई विज्ञान कथा आंखों के सामने जीवंत हो गई।
वैज्ञानिकों ने साझा की जानकारी
इस इंटरैक्शन से पहले ISRO वैज्ञानिकों ने छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान और गगनयान मिशन से जुड़ी जानकारी दी। छात्रों को बताया गया कि अंतरिक्ष विज्ञान में करियर कैसे बनाया जा सकता है।
41 साल बाद फिर भारतीय अंतरिक्ष में
शुभांशु शुक्ला, 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। वे नासा और इसरो के संयुक्त मिशन एक्सियम-4 का हिस्सा हैं और ISS पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
गगनयान मिशन की राह
शुभांशु का यह अनुभव भारत के आगामी गगनयान मिशन 2027 में अहम भूमिका निभाएगा। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करना है।