अखिलेश यादव का बड़ा एक्शन: सपा के 3 विधायकों को पार्टी से निकाला, X पर पोस्ट लिखकर बताई वजह; जानें क्यों हुई कार्रवाई?

Samajwadi Party expels 3 MLA
Samajwadi Party MLA Expelled: समाजवादी पार्टी (सपा) ने आज (सोमवार, 23 जून 2025) बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी से निष्कासित किए गए MLA में गोशाईगंज से विधायक अभय सिंह, गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडेय शामिल हैं। अखिलेश यदव ने यह कार्रवाई पार्टी की नीतियों और विचारधारा के खिलाफ काम करने के चलते किया है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी के ये तीनों विधायक लंबे समय से पार्टी से दूरी बनाए हुए थे। बीजेपी के संपर्क में होने और चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के लिए काम करने जैसे तथ्य भी सामने आए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय के घर पहुंचकर मीटिंग की थी। इसके बाद MLC और राज्यसभा चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग हुईं।
समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है:
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) June 23, 2025
1. मा.…
सपा का X (Twitter) पर बयान
- पार्टी द्वारा जारी बयान के अनुसार, इन विधायकों पर आरोप है कि उन्होंने ऐसी विचारधारा का समर्थन किया जो सांप्रदायिक, विभाजनकारी, किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी, व्यापारी विरोधी, कामकाजी पेशेवर विरोधी और पीडीए विरोधी है।
- समाजवादी पार्टी ने X हैंडल पर स्पष्ट किया कि विधायक अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इनका आचरण पार्टी की नीतियों और विचारधारा के विरुद्ध पाया गया है।
सपा ने स्पष्ट किया कि ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं है। पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियाँ अक्षम्य मानी जाएंगी। इन विधायकों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गई ‘अनुग्रह-अवधि’ पूर्ण हो गई। अन्य विधायकों की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है।
समाजवादी पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हर सदस्य के खिलाफ इसी तरह सख्त कार्रवाई की जाएगी। निष्कासित विधायकों को भी सुधरने का मौका दिया गया था, लेकिन वह सुधरना ही नहीं चाहते थे।