शिक्षा का हक, हर बच्चे तक: UP में RTE दाखिले का दायरा बढ़ा, आवेदन के लिए चलेगा महाअभियान!

UP में RTE दाखिले का दायरा बढ़ा, आवेदन के लिए चलेगा महाअभियान!
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सरकार के इस कदम पात्र बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी।

सरकार ने इस सत्र में अधिक से अधिक पात्र बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में एक बड़ा अभियान चलाने की तैयारी की है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत गरीब बच्चों के दाखिले का दायरा इस बार काफी बढ़ने वाला है। राज्य सरकार ने इस शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट स्कूलों में होने वाले 25% आरक्षित सीटों पर अधिक से अधिक बच्चों का दाखिला सुनिश्चित करने की मज़बूत तैयारी की है। बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों में एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है, जिसका मुख्य लक्ष्य है हर जिले से आरटीई के तहत अधिक से अधिक आवेदन करवाना। इस कदम से न केवल पात्र बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी, बल्कि आरटीई योजना का लाभ भी जमीनी स्तर पर व्यापक रूप से फैल सकेगा।

विभाग का प्रयास है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार आवेदनों और सफल दाखिलों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हो। यह नई पहल वंचित और कमजोर वर्ग के परिवारों के बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

दाखिले के दायरे को व्यापक बनाने की रणनीति

बेसिक शिक्षा विभाग ने आरटीई के तहत स्कूलों में खाली सीटों को भरने और अधिक से अधिक आवेदनों को आकर्षित करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार की है, जिसका मुख्य फोकस जन-जागरूकता और प्रशासनिक सहयोग पर है।

विभाग ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में एक सघन जागरूकता अभियान चलाए। इसमें स्थानीय समाचार पत्रों, सोशल मीडिया, और सार्वजनिक घोषणाओं के माध्यम से आरटीई के नियमों और पात्रता मानदंडों की जानकारी को जन-जन तक पहुचाना शामिल है। विभाग का मानना है कि कई पात्र अभिभावक जानकारी के अभाव में आवेदन नहीं कर पाते हैं।

इसके अलावा, ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के सहयोग से विशेष शिविर आयोजित किए जाएगे जहा अभिभावकों को ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने में सहायता प्रदान की जाएगी। प्रशासनिक स्तर पर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आवेदन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि अभिभावकों को किसी भी प्रकार की अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पड़े। हर जिले में आवेदन प्रक्रिया की निगरानी के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रक्रिया निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरी हो जाए और पिछले वर्षों की खाली रह गई सीटें भी भर सकें।

आर्थिक और शैक्षिक रूप से कमजोर वर्ग को सीधा लाभ

शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत, निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को अपनी प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और वंचित समूह (DG) के बच्चों के लिए आरक्षित करना अनिवार्य है।

इस बढ़े हुए दायरे का सीधा लाभ उन लाखों बच्चों को मिलेगा जिनके परिवार सालाना एक निश्चित आय सीमा से कम कमाते हैं या आरक्षित श्रेणियों से संबंध रखते हैं। आरटीई के तहत इन बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च (ट्यूशन फीस, किताबें, यूनिफॉर्म का कुछ हिस्सा) राज्य सरकार वहन करती है। इससे गरीब परिवारों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ कम होता है, और उनके बच्चों को निजी स्कूलों में मिलने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुच प्राप्त होती है।

आवेदन प्रक्रिया और महत्वपूर्ण समय-सीमा

उत्तर प्रदेश में आरटीई के तहत दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और यह निर्धारित समय-सीमा के भीतर चरणों में संपन्न होती है। अभिभावकों को बच्चे की पात्रता से संबंधित आवश्यक दस्तावेज जैसे आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, और बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र तैयार रखने की आवश्यकता होती है।

आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद, यदि आवेदनों की संख्या आरक्षित सीटों से अधिक होती है, तो पारदर्शी लॉटरी प्रणाली के माध्यम से बच्चों का चयन किया जाता है। चयनित बच्चों की सूची स्कूलों को भेजी जाती है, और फिर संबंधित स्कूलों द्वारा दाखिला प्रक्रिया पूरी की जाती है। अभिभावकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे लॉटरी की घोषणा के बाद एक निश्चित अवधि के भीतर स्कूल में जाकर दाखिले की औपचारिकताए पूरी करें। बीएसए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे आवेदन से लेकर दाखिले तक की पूरी प्रक्रिया को त्रुटिहीन तरीके से और तय समय पर संपन्न कराए ताकि नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत तक सभी आरटीई सीटें भर सकें।

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