रामभद्राचार्य का बड़ा संकल्प: 'राम मंदिर की तरह कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी मेरी अहम भूमिका रहेगी'

राम मंदिर की तरह कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी मेरी अहम भूमिका रहेगी
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रामभद्राचार्य ने 25 नवंबर को पीएम मोदी के आगमन को गौरव का विषय बताया। 

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने अयोध्या में रामलला के दर्शन कर बड़ा बयान दिया कि जिस तरह राम मंदिर निर्माण में उनकी भूमिका रही, उसी तरह अब कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी उनकी अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने रामलला के दर्शन से मन में हुए आनंद को व्यक्त किया।

लखनऊ: तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने अयोध्या पहुंचकर भगवान रामलला और हनुमानगढ़ी के दर्शन किए। रामलला के दर्शन से अभिभूत होकर उन्होंने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह राम मंदिर के निर्माण और आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, अब उसी तरह की भूमिका वह कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी निभाएंगे। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट में आंदोलन में भाग न लेने वालों को ट्रस्टी बनाए जाने पर विडंबना जाहिर की। रामभद्राचार्य जी ने दीपोत्सव के भव्य आयोजन और 25 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी के आगमन को देश के लिए गौरव का विषय बताया।

रामलला के दर्शन के बाद कृष्ण जन्मभूमि को लेकर संकल्प का ऐलान

तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि रामलला के दर्शन से उन्हें ऐसा महसूस हुआ, जैसे प्रभु स्वयं कह रहे हों, "अस मन होय उठाए लेव कोरबा" इस दौरान ही उन्होंने मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण बयान दिया। रामभद्राचार्य जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि राम मंदिर के निर्माण और आंदोलन में उनकी जो भूमिका रही है, अब उसी भूमिका का निर्वहन वह कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी करेंगे। यह बयान उनके अगले बड़े धार्मिक और कानूनी आंदोलन में शामिल होने का स्पष्ट संकेत देता है, जिससे मथुरा का मुद्दा एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है। उन्होंने यह संकेत दिया कि जैसे अयोध्या में सफलता मिली है, उसी तरह मथुरा में भी वह सक्रिय रूप से कार्य करेंगे।

ट्रस्टियों के चयन पर जताई विडंबना

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने राम जन्मभूमि आंदोलन और राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के चयन को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की।

वहीं सुल्तानपुर में वाल्मीकि रामायण कथा सुनाते हुए उन्होंने इस पर विडंबना जाहिर करते हुए कहा कि "अजीब विडंबना है, जिन्होंने एक बार भी राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग नहीं लिया, उन्हें ही मंदिर का ट्रस्टी बना दिया गया।" उनके इस बयान ने राम मंदिर आंदोलन के पुराने और सक्रिय सदस्यों की अनदेखी के मुद्दे को उजागर किया और ट्रस्ट के चयन प्रक्रिया पर एक तरह का सवाल खड़ा किया।

उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और अपने मित्र महंत नृत्य गोपाल दास से भी मुलाकात की। रामभद्राचार्य जी ने इस मुलाकात को "मित्रों का सुखद मिलन" बताया। उन्होंने कहा कि महंत नृत्य गोपाल दास अब स्वास्थ्य कारणों से बहुत कम लोगों को पहचान पाते हैं, लेकिन उन्होंने रामभद्राचार्य जी को तुरंत पहचान लिया, जिसे उन्होंने अपने लिए अत्यंत हर्ष का विषय बताया।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर के ध्वजारोहण समारोह में 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री की उपस्थिति इस आयोजन के महत्व को और अधिक बढ़ा देगी।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने अयोध्या के विश्व प्रसिद्ध दीपोत्सव समारोह पर भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस बार का दीपोत्सव भी पहले की तरह भव्य और दिव्य होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार भी दीपोत्सव में तीन नए विश्व रिकॉर्ड बनाए जाएंगे, जिससे अयोध्या की पहचान वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगी। ये दोनों ही आयोजन—प्रधानमंत्री का आगमन और दीपोत्सव—रामभद्राचार्य जी के लिए व्यक्तिगत और धार्मिक दोनों ही दृष्टियों से उत्साहवर्धक थे।

सनातनियों को तिलक लगाने की अपील और अवध से प्रेम

अपनी कथा के दौरान, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आचरण पर जोर दिया। उन्होंने सभी सनातनियों से मस्तक पर तिलक जरूर लगाने की अपील की। उन्होंने तिलक लगाने के अनेक फायदे बताए और एक गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि "तिलक के बिना ब्राह्मण यमराज जैसा दिखता है।" उन्होंने कहा कि "अवध और अवधी दोनों मुझे बहुत भाती हैं। यह मेरी और मेरे आराध्य की जन्मभूमि है।

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