रक्षाबंधन 2025: राखी के धागे और लहरों से जंग, उफनाती नदी पार कर भाई तक पहुंचीं बहनें

राखी के धागे और लहरों से जंग, उफनाती नदी पार कर भाई तक पहुंचीं बहनें
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उत्तर प्रदेश के बहराइच में बाढ़ और भारी बारिश के बीच बहनें नाव से भाई तक राखी बांधने पहुंचीं। जानें कैसे रक्षाबंधन पर हौसले ने हर मुश्किल को मात दी।

Raksha Bandhan 2025 : रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन की अहमियत इतनी है कि बाढ़ जैसी मुश्किल चुनौतियां भी बहनों की राह नहीं रोक पातीं। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के नानपारा क्षेत्र में इस बार रक्षाबंधन बाढ़ और बारिश की बड़ी चुनौती लेकर आया, लेकिन बहनों ने हिम्मत नहीं हारी। उफनाती नदी पार कर भाई को राखी बांधने पहुंचीं।

बहराइच जिले के नानपारा क्षेत्र में नदी उफान पर है, सड़कें टूटी हैं और पुल भी नहीं हैं, लेकिन ज्यादातर बहनें, हाथ में राखी और आंखों में भाई की लंबी उम्र की दुआ लेकर वह नाव पर सवार होकर अपने भाइयों तक पहुंच रही हैं।



नाव पर राखी का सफर

नानपारा से बलदूपूरवा, डल्ला पूरवा, दूईजी पूरवा, अरनवा और गिरदा जैसे गांवों में हर साल करीब पांच महीने लोग केवल नाव के सहारे ही बाहर आ-जा पाते हैं। इस बार रक्षाबंधन पर भी यही हाल रहा। प्रशासन ने फ्री बस यात्रा की घोषणा की, लेकिन इन दूरदराज गांवों तक यह सुविधा नहीं पहुंच पाई। यहां पुल और पक्की सड़क का सपना अभी भी अधूरा है।

बहनों का जज्बा

चमेली देवी, रेशमी और सुनीता जैसी बहनों का कहना है कि रक्षाबंधन पर चाहे कितनी भी मुश्किल हो, हम भाई की कलाई सूनी नहीं रहने देंगे। उन्होंने सरकार से भी गुजारिश की है कि अगली राखी तक नाव नहीं, सड़क से भाई तक पहुंचने का सपना पूरा करे।

ग्रामीणों की मांग

स्थानीय लोग वर्षों से पुल और सड़क की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल बरसात में हालात बिगड़ जाते हैं और नाव ही एकमात्र सहारा बन जाती है।

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