आध्यात्मिक यात्रा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वृंदावन में किए बांके बिहारी के दर्शन, निधिवनराज में लगाई 500 मीटर की परिक्रमा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मथुरा मे बांके बिहारी को किया दर्शन।
मथुरा : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को आध्यात्मिक नगरी वृंदावन की यात्रा l उनका यह दौरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के प्रति स्थानीय संस्कृति और भक्ति भावना के सम्मान को भी दर्शाता है। वृंदावन रोड रेलवे स्टेशन पर आगमन से लेकर बांके बिहारी और निधिवनराज मंदिर में दर्शन तक, उनकी पूरी यात्रा भक्ति, भव्य स्वागत और अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था का एक अद्भुत संगम रही।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सुबह ठीक 10 बजे वृंदावन रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंचीं, जहां उनका स्वागत निर्धारित समय पर हुआ। स्टेशन पर उनका अभिनंदन पारंपरिक तरीके से शहनाइयों की मधुर धुन के साथ किया गया, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, मथुरा के मेयर विनोद अग्रवाल, एडीजी आगरा जोन अनुपमा कुलश्रेष्ठ, और कमिश्नर शैलेंद्र सिंह सहित प्रशासन के उच्च अधिकारी मौजूद रहे। रेलवे स्टेशन से, राष्ट्रपति का काफिला बांके बिहारी मंदिर के लिए रवाना हुआ। सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रपति ने मंदिर तक पहुंचने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई गोल्फकार्ट का इस्तेमाल किया। उनके साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद थे, जो पूरे काफिले की पांच गोल्फकार्ट में शामिल थे।
श्री बांके बिहारी मंदिर में सपरिवार पूजन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के श्री बांके बिहारी मंदिर परिसर पहुंचने पर, हाई पावर्ड कमेटी के सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी ने राष्ट्रपति का स्वागत किया, और सेवायत विजय कृष्ण गोस्वामी उन्हें मंदिर के गर्भगृह तक ले गए। राष्ट्रपति ने अपने परिवार के सदस्यों—बेटी, दामाद और उनके बच्चों—के साथ मिलकर दर्शन किए। उन्होंने मंदिर में लगभग 30 मिनट बिताए। इस दौरान, मुख्य सेवायत गौरव गोस्वामी, फ्रैंकी गोस्वामी और शैलेन्द्र गोस्वामी ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई। पूजा का एक विशेष आकर्षण कन्नौज से मंगाए गए इत्र से किया गया देहरी पूजन था। इसके बाद, उन्होंने श्रीकुंजबिहारी अष्टक पूजन किया और चांदी के दीपक में गिर गाय के घी से दीपदान भी किया। बांके बिहारी के दर्शन कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी गहन आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि वे दर्शन कर धन्य हो गई हैं।
निधिवनराज में परिक्रमा और अन्य मंदिरों के दर्शन
बांके बिहारी के दर्शन के बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपनी यात्रा के अगले पड़ाव, निधिवनराज मंदिर पहुंचीं। यह स्थान बिहारी जी की प्राकट्यस्थली के रूप में जाना जाता है और इसका वृंदावन में अत्यधिक महत्व है। राष्ट्रपति ने निधिवनराज मंदिर में लगभग आधा घंटा बिताया और यहां की पवित्रता को महसूस किया। उन्होंने भक्तिभाव से 500 मीटर की परिक्रमा लगाई, जो उनकी आस्था और समर्पण को दर्शाती है। परिक्रमा के बाद, उन्होंने परिवार के साथ इस पवित्र प्राकट्यस्थली के दर्शन किए
निधिवनराज मंदिर से निकलने के बाद, राष्ट्रपति ने दो और महत्वपूर्ण मंदिरों के दर्शन किए। वे पहले बंशी चोर राधा रानी मंदिर गईं और उसके बाद हरिदास जी के मंदिर भी पहुंचीं। हरिदास जी के मंदिर में, उन्होंने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए श्रृंगार भेंट किया। यह उनके बहुआयामी आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की वृंदावन यात्रा का उद्देश्य केवल दर्शन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें कई सामाजिक और आध्यात्मिक कार्य भी शामिल थे। मंदिर के दर्शन और परिक्रमा के बाद, वो भजनकुटी का लोकार्पण करेंगी।
इस यात्रा का एक और अत्यंत मार्मिक और व्यक्तिगत पहलू भी है। वृंदावन धाम में रहते हुए, राष्ट्रपति अपनी मां के नाम पर एक कल्प वृक्ष का पौधा भी रोंपेगी। यह कार्य उनकी माता के प्रति सम्मान और प्रकृति प्रेम को दर्शाता है, साथ ही यह वृंदावन की आध्यात्मिक भूमि को एक चिरस्थायी स्मृति भी प्रदान करेगा।
पूरे दौरे के दौरान, पीएसी के जवान, एलआईयू, सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी, और स्थानीय पुलिसकर्मी श्रीबांकेबिहारी मंदिर, छटीकरा रेलवे स्टेशन, श्रीकुब्जा-कृष्ण मंदिर सहित सभी प्रमुख स्थलों पर तैनात रहे, ताकि राष्ट्रपति की सुरक्षा में कोई चूक न हो।
