अयोध्या में रामलला का दूसरी वर्षगांठ उत्सव: तंजौर शैली की स्वर्ण जड़ित प्रतिमा ने बढ़ाई मंदिर की शोभा

इस उत्सव का सबसे विशेष केंद्र तंजौर शैली में निर्मित भगवान श्रीराम की वह दिव्य प्रतिमा है।
अयोध्या : राम नगरी अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर 'प्रतिष्ठा द्वादशी' का आयोजन शुरू हो गया है।
इस ऐतिहासिक घड़ी को यादगार बनाने के लिए राम जन्मभूमि परिसर में विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की श्रृंखला शुरू की गई है, जिसमें देश भर से आए साधु-संत और श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
इस उत्सव का सबसे विशेष केंद्र तंजौर शैली में निर्मित भगवान श्रीराम की वह दिव्य प्रतिमा है, जिसे सोने और हीरों से सुसज्जित कर मंदिर में स्थापित किया गया है।
तंजौर कला और रत्नों का अद्भुत संगम
इस उत्सव के अवसर पर मंदिर में स्थापित की गई नई प्रतिमा कला का एक उत्कृष्ट नमूना है। दक्षिण भारत की प्रसिद्ध तंजौर शैली में बनी इस प्रतिमा को बनाने में शुद्ध सोने के पत्रों और बेशकीमती हीरों का उपयोग किया गया है।
यह प्रतिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय शिल्प कला की भव्यता को भी दर्शाती है। इसे विशेष रूप से वर्षगांठ समारोह के मुख्य आकर्षण के रूप में तैयार करवाया गया है।
12 दिवसीय धार्मिक अनुष्ठानों का शुभारंभ
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित यह उत्सव 12 दिनों तक चलेगा। उत्सव की शुरुआत वेदमंत्रों के उच्चारण, विशेष अभिषेक और हवन पूजन के साथ हुई है।
काशी और कांची के विद्वान ब्राह्मणों के निर्देशन में शास्त्रोक्त विधि-विधान से पूजा संपन्न की जा रही है। इन अनुष्ठानों का उद्देश्य प्रभु राम के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना और विश्व कल्याण की कामना करना है।
राम नगरी में उल्लास और सुरक्षा के कड़े प्रबंध
प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ को लेकर पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सरयू तट से लेकर राम पथ तक उत्सव का माहौल है।
भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस बल ने चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की है।
मंदिर जाने वाले मार्गों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है ताकि भक्तों को सुगम दर्शन प्राप्त हो सकें।
भक्तों के लिए विशेष दर्शन और प्रसाद वितरण
उत्सव के दौरान रामलला के दर्शन के समय में भी विशेष प्रबंधन किए गए हैं। भक्तों को प्रभु के स्वर्ण स्वरूप के दर्शन करने का अवसर मिल रहा है।
साथ ही, ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष महाप्रसाद की व्यवस्था की गई है। शाम के समय मंदिर परिसर को हजारों दीपों से रोशन किया जा रहा है, जो प्राण प्रतिष्ठा के उस ऐतिहासिक दिन की याद दिलाता है जब रामलला अपने भव्य महल में विराजे थे।
