अयोध्या राम मंदिर में ध्वजारोहण: PM मोदी बोले- "यह एक ध्वज नहीं, भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है"

PM मोदी बोले- यह एक ध्वज नहीं, भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है
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पीएम मोदी ने सभी दानवीरों, संतों और समाज के लोगों का धन्यवाद किया जिन्होंने इस मंदिर निर्माण में अपना योगदान दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि राम केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि एक मूल्य हैं, और हमें 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए अपने भीतर राम को जगाना होगा।

अयोध्या : राम मंदिर में ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने कहा कि सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। यह धर्मध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है।

अयोध्या में आज इतिहास का एक और भव्य अध्याय लिखा गया। राम मंदिर के मुख्य शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र धर्मध्वजा फहराई। उनके साथ RSS प्रमुख मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे। ध्वजारोहण के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने लाखों राम भक्तों को संबोधित किया और अपने प्रेरक शब्दों से पूरे देश का मन भावुक कर दिया।

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आज केवल अयोध्या ही नहीं, बल्कि पूरा भारत और पूरी दुनिया राममय हो गई है। उन्होंने कहा कि हर रामभक्त के मन में आज अद्भुत शांति, अपार आनंद और कृतज्ञता की भावना है। सदियों तक चले संघर्ष का अंत आज दिखाई दे रहा है और सदियों की वेदना को आज वास्तविक विराम मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि 500 वर्षों से जो यज्ञ चल रहा था, जिसकी अग्नि कभी आस्था से कम नहीं हुई, उस यज्ञ की आज पूर्णाहुति हो गई है।

प्रधानमंत्री ने पवित्र धर्मध्वजा के महत्व को भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक ध्वज नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। इसका केसरिया रंग और उस पर अंकित ‘ॐ’ और कोविदार वृक्ष रामराज्य के आदर्शों की झलक देते हैं।

यह ध्वज संघर्ष, संकल्प, समर्पण और समाज की एकजुटता का साकार रूप है। उन्होंने कहा, “यह ध्वज आने वाली कई सदियों तक प्रभु श्रीराम के आदर्शों का संदेश दुनिया तक ले जाएगा।”


पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यह धर्मध्वज ‘सत्यमेव जयते’ का संदेश देता है—यह याद दिलाता है कि धर्म का आधार सदैव सत्य है। यह लोगों को प्रेरणा देता है कि जीवन में वचन और कर्तव्य सबसे बड़े होते हैं।

उन्होंने कहा कि यह ध्वज हमें एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में प्रेरित करेगा जहाँ न भेदभाव हो, न पीड़ा हो, न गरीबी—और हर व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख हो।

प्रधानमंत्री ने उन लोगों का भी आभार व्यक्त किया जो किसी कारण मंदिर नहीं आ सकते, लेकिन दूर से ही ध्वज को प्रणाम करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे भक्तों को भी पूर्ण पुण्य मिलता है क्योंकि यह ध्वज दूर से भी रामलला के दर्शन कराता है।

साथ ही उन्होंने उन सभी दानवीरों, संतों और समाज के लोगों का धन्यवाद किया जिन्होंने इस विशाल मंदिर निर्माण में अपना योगदान दिया।

अपने संबोधन के अंतिम हिस्से में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या की महानता को याद किया। उन्होंने कहा कि यह वही पवित्र भूमि है जहाँ आदर्श केवल विचार नहीं बल्कि आचरण बन जाते हैं। यही वह नगरी है जहाँ से प्रभु श्रीराम ने अपना जीवन पथ शुरू किया और दुनिया को मर्यादा, त्याग, सेवा और कर्तव्य का मार्ग दिखाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे एक व्यक्ति समाज के संस्कारों से ‘पुरुषोत्तम’ बन सकता है, वैसे ही विकसित भारत का निर्माण भी सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।


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