'पर ड्रॉप, मोर क्रॉप' योजना: बदलेगी किसानों की तकदीर! पढ़िए इन साइड स्टोरी

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'पर ड्रॉप, मोर क्रॉप' योजना से यूपी के 82,000 से ज्यादा किसान लाभान्वित। ड्रिप-सिंचाई से उपज में 50% तक वृद्धि और पानी की 50% बचत।

लखनऊ डेस्क: उत्तर प्रदेश में किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से चलाई जा रही 'पर ड्रॉप, मोर क्रॉप' योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके परिणाम बेहद शानदार हैं। इस पहल से न केवल पानी के संकट से निपटने में मदद मिल रही है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है।

50% तक बढ़ी फसलों की उपज

कृषि विभाग का कहना है कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाने वाले किसानों की बागवानी फसलों की उपज में औसतन 50% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि किसानों के लिए सीधे तौर पर अधिक लाभ का कारण बन रही है। इसके अलावा, राज्य की प्रमुख नकदी फसल गन्ना में भी इसी तरह के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। यह दर्शाता है कि यह सिंचाई पद्धति न केवल बागवानी, बल्कि अन्य फसलों के लिए भी उतनी ही प्रभावी है। अब तक, 82 हजार से अधिक किसान इस योजना का लाभ ले चुके हैं, और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.02 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

पानी की बचत

जल संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। पारंपरिक सिंचाई तरीकों में पानी का एक बड़ा हिस्सा वाष्पीकरण और रिसाव में बर्बाद हो जाता है। 'पर ड्रॉप, मोर क्रॉप' योजना इसी समस्या का समाधान करती है। इस पद्धति में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक बूँद-बूँद करके पहुँचता है, जिससे 40 से 50% तक पानी की बचत होती है।

सरकारी अनुदान से किसानों को राहत

सरकार ने इस योजना को सभी किसानों के लिए सुलभ बनाने के लिए भारी अनुदान का प्रावधान किया है। यह अनुदान किसानों की श्रेणी और सिंचाई प्रणाली के प्रकार पर निर्भर करता है कि ड्रिप, मिनी और माइक्रो स्प्रिंकलर पर, लघु और सीमांत किसानों को लागत का 90% जबकि अन्य किसानों को 80% अनुदान दिया जा रहा है। पोर्टेबल, सेमी-परमानेंट और रेनगन स्प्रिंकलर पर, लघु और सीमांत किसानों को लागत का 75% और अन्य किसानों को 65% का अनुदान मिल रहा है।

पात्रता और आवेदन

इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी का एक स्रोत होना अनिवार्य है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जो किसान संविदा खेती (कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग) कर रहे हैं, वे भी इस योजना के पात्र होंगे, बशर्ते उनके पास न्यूनतम सात वर्षों का लीज एग्रीमेंट हो। यह प्रावधान उन किसानों को भी लाभ पहुँचाता है जो अपनी जमीन पर खेती नहीं करते हैं। योजना के लिए आवेदन करने के लोए किसान उद्यान विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.uphorticulture.gov.in या www.upmip.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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