बड़ी खबर: पंकज चौधरी बने यूपी भाजपा के नए 'चौधरी', संभालेंगे 16वें प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार

यह कदम 2027 के विधानसभा चुनावों और आगामी पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी को निर्विरोध उत्तर प्रदेश भाजपा का 16वां अध्यक्ष चुना गया है।
रविवार को केंद्रीय चुनाव अधिकारी पीयूष गोयल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में आधिकारिक तौर पर उनके नाम की घोषणा की। पंकज चौधरी ने आज ही अपना कार्यभार संभाल लिया, जिसके साथ ही यूपी भाजपा में एक नए युग की शुरुआत हो गई है।
ओबीसी चेहरे पर दांव और जातीय समीकरण
पंकज चौधरी को यूपी भाजपा अध्यक्ष बनाने का फैसला पार्टी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वह कुर्मी समाज से आते हैं, जो उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग में एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है। यह कदम 2027 के विधानसभा चुनावों और आगामी पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में कुर्मी मतदाता 6 से 10 प्रतिशत के बीच माने जाते हैं और लगभग 40 से 50 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। चौधरी की नियुक्ति को गैर-यादव ओबीसी समुदायों को साधने की भाजपा की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे पार्टी का सामाजिक आधार और मजबूत हो सके। वह योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर के पड़ोसी जिले महाराजगंज से आते हैं और पूर्वांचल में उनका गहरा क्षेत्रीय प्रभाव है।
योगी के गढ़ से नए अध्यक्ष का मजबूत संगठन अनुभव
पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर लगभग चार दशक लंबा है और उन्हें संगठन और चुनावी प्रबंधन दोनों का गहरा अनुभव है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के रूप में की थी। 1991 में, महज 27 साल की उम्र में, वह पहली बार महराजगंज से सांसद बने।
वह इस लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने जा चुके हैं और वर्तमान में केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद उनके नामांकन में प्रस्तावक बनकर एक मजबूत संदेश दिया है। अब मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के पड़ोसी जिलों से होंगे, जिससे पार्टी को क्षेत्र में संगठनात्मक तालमेल बिठाने में आसानी होगी।
विरोधियों के लिए बड़ी चुनौती
पंकज चौधरी की नियुक्ति से विपक्षी दलों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। भाजपा ने एक मजबूत कुर्मी चेहरे को शीर्ष पद पर बैठाकर विरोधी दलों के ओबीसी समीकरणों को साधने के प्रयासों पर सीधा प्रहार किया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और उनके सहयोगी दलों के लिए यह निर्णय चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि उन्हें ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा है।
पार्टी को उम्मीद है कि चौधरी अपने व्यापक अनुभव और साफ-सुथरी राजनीतिक छवि के दम पर संगठन को नई ऊर्जा देंगे और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत आधार तैयार करेंगे।
अगले कदम और संभावित प्रभाव
पंकज चौधरी का निर्विरोध चुना जाना दर्शाता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने गहन मंथन के बाद उनके नाम पर मुहर लगाई है। उनके सामने अब पार्टी के संगठन को और मजबूत करने और आगामी चुनावों में जीत सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। कार्यभार संभालने के बाद, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पंकज चौधरी अपनी प्रदेश टीम में किसे जगह देते हैं।
क्षेत्रीय अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति में उनके प्रभाव और चुनावी समीकरणों को महत्व मिलने की उम्मीद है। उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अगले विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को ज़मीनी स्तर पर मजबूत करना और सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की होगी।
