मिशन 2027: यूपी बीजेपी में OBC कार्ड पर दांव, मौर्य-कुर्मी-जाट के बाद अब कौन बनेगा नया प्रदेश अध्यक्ष?

यूपी बीजेपी में OBC कार्ड पर दांव, मौर्य-कुर्मी-जाट के बाद अब कौन बनेगा नया प्रदेश अध्यक्ष?
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बीजेपी जल्द ही नए अध्यक्ष के नाम का आधिकारिक ऐलान कर सकती है। 

आरएसएस और केंद्रीय नेतृत्व की चर्चा के बाद, पार्टी ओबीसी वर्ग से ही अगला अध्यक्ष चुनकर सामाजिक समीकरणों को साधने की तैयारी में है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में संगठन के शीर्ष पद पर बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल पूरा होने के बाद, सभी की निगाहें बीजेपी के अगले कदम पर टिकी हैं।

2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, बीजेपी ओबीसी समुदाय से एक ऐसे चेहरे को अध्यक्ष बनाने पर मंथन कर रही है जो राज्य के जातिगत समीकरणों को मजबूती से साध सके।

बीजेपी संगठन में बदलाव की तेज कवायद

बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी के लिए पार्टी आलाकमान ने कवायद तेज कर दी है। इस सिलसिले में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की है। बीएल संतोष ने आरएसएस, सरकार और प्रदेश संगठन के साथ गहन मंथन के बाद केंद्रीय नेतृत्व को फीडबैक दिया है।

माना जा रहा है कि बीजेपी जल्द ही नए अध्यक्ष के नाम का आधिकारिक ऐलान कर सकती है। यह पूरी चयन प्रक्रिया प्रदेश प्रभारी पीयूष गोयल और सह-प्रभारी विनोद तावड़े की देखरेख में चल रही है।

पिछली कड़ियों की तरह OBC चेहरे पर फोकस

उत्तर प्रदेश में बीजेपी हमेशा से सामाजिक समीकरणों को साधकर चलती रही है, और प्रदेश अध्यक्ष का पद इस रणनीति का अहम हिस्सा रहा है। पिछले अध्यक्षों पर नज़र डालें तो, केशव प्रसाद मौर्य (मौर्य समुदाय), स्वतंत्र देव सिंह (कुर्मी समुदाय) और भूपेंद्र चौधरी (जाट समुदाय) ओबीसी वर्ग से आए हैं।

ये तीनों ही नेता क्रमशः विभिन्न उप-जातियों का प्रतिनिधित्व करते थे। बीजेपी एक बार फिर 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए ओबीसी वर्ग से ही किसी नए नेता को यह अहम जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है।

2027 के चुनावी मिशन के लिए अहम है यह फैसला

नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव बीजेपी के लिए महज एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव के मिशन की आधारशिला है। नए अध्यक्ष को न केवल संगठन को मजबूत करना होगा, बल्कि विपक्ष के जातिगत दांवों का मुकाबला करने के लिए पार्टी की रणनीति को भी जमीन पर उतारना होगा।

पार्टी इस बात पर बारीकी से विचार कर रही है कि मौर्य, कुर्मी और जाट समुदायों के बाद ओबीसी की किस उप-जाति से अध्यक्ष बनाया जाए, जो पश्चिमी, पूर्वी और मध्य यूपी के समीकरणों में सबसे सटीक बैठ सके।

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