विजन डाक्यूमेंट्स 2047: विकसित यूपी का रोडमैप! 500 विषयों पर मांगे सुझाव, नीति आयोग और सरकार की साझा प्रयास

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को 2047 तक विकसित करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को लेकर राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर "विकसित यूपी 2047" विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य के समग्र विकास के लिए एक ठोस और व्यापक रोडमैप बनाना है। इस महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को तैयार करने की प्रक्रिया में नागरिकों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के सुझावों को शामिल करने के लिए, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया गया है। यह समिति विजन डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप देने से पहले प्राप्त सभी सुझावों की गहन समीक्षा करेगी।
यह पहल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विकास की रणनीति को केवल सरकारी स्तर तक सीमित नहीं रखती, बल्कि इसमें आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करती है। इसका मकसद एक ऐसा दस्तावेज़ तैयार करना है जो न सिर्फ़ शीर्ष विशेषज्ञों की राय पर आधारित हो, बल्कि ज़मीनी हकीकत और लोगों की आकांक्षाओं को भी दर्शाता हो।
नीति आयोग ने दिया संयुक्त टीम का सुझाव
इस पूरी प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के लिए, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने एक संयुक्त टीम के गठन का सुझाव दिया है। इस टीम में क्षेत्रीय और सेक्टर विशेषज्ञ, नीति आयोग के प्रतिनिधि, और राज्य योजना विभाग के सदस्य शामिल होंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता को एक साथ लाना है ताकि विजन डॉक्यूमेंट को और अधिक व्यापक बनाया जा सके। यह संयुक्त टीम कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर काम करेगी, जिससे दस्तावेज़ में हर पहलू को गहराई से समझा जा सके। इस तरह, दस्तावेज़ न सिर्फ़ लक्ष्यों को परिभाषित करेगा, बल्कि उन्हें प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों को भी शामिल करेगा।
500 विषयों पर मांगे जा रहे हैं सुझाव
सरकार ने इस विजन डॉक्यूमेंट के लिए आम जनता से सुझाव मांगने के लिए 500 विषयों का एक विस्तृत समूह बनाया है। इनमें शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना, कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना और सुशासन को मजबूत करना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। नागरिकों से ऑनलाइन सुझाव प्राप्त करने के लिए एक समर्पित पोर्टल भी शुरू किया गया है, जो सुझाव देने की प्रक्रिया को सरल बनाता है। इसके अलावा, जिलों में शैक्षणिक संस्थानों, पंचायतों और जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद करके भी सुझाव एकत्र किए जा रहे हैं। यह बहुआयामी दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि समाज के हर वर्ग, चाहे वह गाँव का किसान हो या शहर का छात्र, उसकी आवाज सुनी जाए और उसके विचारों को महत्व दिया जाए।
विश्वविद्यालयों की भागीदारी पर जोर
नीति आयोग के सीईओ ने मुख्यमंत्री को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने का सुझाव दिया है। इस तरह की बैठकें न केवल विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने की प्रक्रिया को सरल बनाएंगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगी कि युवाओं के नए और रचनात्मक विचारों को भी इसमें शामिल किया जाए। विश्वविद्यालयों के माध्यम से यह विजन विद्यार्थियों तक भी आसानी से पहुंच पाएगा, जिससे वे इस प्रक्रिया का हिस्सा महसूस करेंगे। यह कदम भविष्य के नेताओं और विचारकों को इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य से जोड़ने का एक शानदार तरीका है।
समय सीमा निर्धारित करने का आग्रह
बैठक में नीति आयोग के सीईओ ने विजन डॉक्यूमेंट की रूपरेखा तय करने के लिए एक समय सीमा भी निर्धारित करने पर जोर दिया है, ताकि इस महत्वपूर्ण कार्य को समय पर पूरा किया जा सके। समयबद्ध तरीके से काम करना इस परियोजना की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सभी हितधारकों को एक स्पष्ट दिशा और लक्ष्य मिलता है।
यह पहल न केवल उत्तर प्रदेश के भविष्य के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि इस प्रक्रिया में नागरिक सीधे तौर पर शामिल हों, जिससे यह एक समावेशी और सहभागी प्रयास बन सके। इस तरह, "विकसित यूपी 2047" सिर्फ एक सरकारी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि राज्य के हर नागरिक की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होगा।
