दिल्ली ब्लास्ट केस: मैडम सर्जन को लखनऊ ला सकती है NIA, नए सिरे से होगी जांच

एजेंसी ऐसे लोगों से पूछताछ करेगी जिनसे दिल्ली ब्लास्ट से पहले डॉ. शाहीन से लखनऊ में मुलाकत की थीं।
लखनऊ : राष्ट्रीय जांच एजेंसी दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार की गई लखनऊ निवासी डॉ. शाहीन सईद को आगे की पूछताछ और नए सबूतों की तलाश के लिए जल्द ही लखनऊ और कानपुर ला सकती है।
डॉ. शाहीन, जो फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय की पूर्व फैकल्टी सदस्य हैं, पर इस आतंकवादी साजिश की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।
एनआईए का उद्देश्य दो महीने पहले लखनऊ में डॉ. शाहीन की गुप्त मुलाकातों और उनके नेटवर्क के बारे में अनसुलझे रहस्यों को खोलना है, क्योंकि एजेंसी इस 'व्हाइट-कॉलर' टेरर नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने के लिए जांच को नए सिरे से आगे बढ़ा रही है। हाल ही में, एनआईए ने डॉ. शाहीन समेत चार और प्रमुख आरोपियों को रिमांड पर लिया है।
लखनऊ और कानपुर कनेक्शन की गहन पड़ताल
जांच एजेंसियों को डॉ. शाहीन के उत्तर प्रदेश के कई जिलों, विशेष रूप से लखनऊ और कानपुर में गहन संपर्क होने का संदेह है। सूत्रों के अनुसार, एनआईए डॉ. शाहीन को लखनऊ और कानपुर ले जाकर उन सभी ठिकानों का पता लगाएगी जहां वह पिछले कुछ समय में गई थीं।
विशेष रूप से, एजेंसी उन लोगों की पहचान और उनसे पूछताछ करेगी जिनसे डॉ. शाहीन ब्लास्ट से लगभग दो महीने पहले लखनऊ में मिली थीं। यह माना जा रहा है कि वह अपने भाई डॉ. परवेज़ अंसारी और अन्य डॉक्टरों के साथ एक संगठित नेटवर्क खड़ा करने के मिशन पर काम कर रही थीं।
जांच में डॉ. शाहीन के कानपुर, लखनऊ और दिल्ली में सात बैंक खातों का खुलासा हुआ है, जिनमें पिछले सात वर्षों में 1.55 करोड़ रुपये का बड़ा लेन-देन हुआ है। एनआईए इन खातों से हुई विदेशी फंडिंग और पैसों के स्रोत की बारीकी से जांच कर रही है, जो आतंकी मॉड्यूल से संबंधों का पता लगाने में महत्वपूर्ण है। यह भी पता चला है कि डॉ. शाहीन 2006 से 2013 तक कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर थीं।
उसके साथ तीन अन्य डॉक्टर भी थे जो अचानक कॉलेज छोड़कर चले गए थे और अब वे सभी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। इसके अलावा, लखनऊ के एरा अस्पताल में काम करने वाले एक अन्य डॉक्टर निसार अहमद अंसारी का नाम भी सामने आया है, जिसने शाहीन के साथ कानपुर में काम किया था।
साजिश में डॉ. शाहीन की भूमिका
एनआईए की जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन इस आतंकी मॉड्यूल की सिर्फ सदस्य नहीं थीं, बल्कि उन्होंने योजना और क्रियान्वयन में एक रणनीतिक भूमिका निभाई थी। एनआईए के अनुसार, डॉ. शाहीन करीब दस वर्षों से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से सीधे जुड़ी हुई थीं और 2016 में इसकी सक्रिय सदस्य बनीं। आतंकी मॉड्यूल में उन्हें 'मैडम सर्जन' के नाम से बुलाया जाता था और उसे उत्तर प्रदेश कमांडर की जिम्मेदारी दी गई थी।
उसकी मुख्य जिम्मेदारी में आतंकियों के बीच सुरक्षित कम्युनिकेशन सुनिश्चित करना और फंड चेन को संभालना शामिल था। उसने मेडिकल विजिट की आड़ में इन लोगों के साथ कई गुप्त मीटिंग भी की थीं। गिरफ्तार होने से पहले, डॉ. शाहीन ने एक नया पासपोर्ट बनवाने की कोशिश की थी और माना जा रहा है कि वह अपने सहयोगियों द्वारा योजना को अंतिम रूप दिए जाने के दौरान दुबई भागने की तैयारी में थीं।
आरोपियों की रिमांड और आगे की कार्रवाई
एनआईए ने 10 नवंबर को हुए विस्फोट के मामले में कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है। एनआईए ने 20 नवंबर को डॉ. शाहीन सईद, डॉ. मुजम्मिल शकील गनई, डॉ. अदील अहमद राथेर, और मुफ्ती इरफान अहमद वागे को श्रीनगर से हिरासत में लेकर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से 10 दिन की रिमांड ली है। एजेंसी रिमांड के दौरान इन चारों आरोपियों का पहले गिरफ्तार किए गए दो अन्य आरोपियों (आमिर राशिद अली और जासिर बिलाल वानी उर्फ दानिश) से आमना-सामना करा सकती है ताकि साजिश के हर पहलू को उजागर किया जा सके।
जांच अब केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सऊदी अरब, मालदीव और तुर्की तक भी फैल गई है, जहां डॉ. शाहीन की यात्राओं और संपर्कों की जांच की जा रही है।
